आचार्य चाणक्य को ही कौटिल्य, विष्णु गुप्त और वात्सायन कहते हैं। उनका जीवन बहुत ही कठिन और रहस्यों से भरा हुआ है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का वर्णन किया है। चाणक्य ने अपनी नीतियों से एक साधारण बालक चंद्रगुप्त (boy Chandragupta) को मौर्य वंश का सम्राट बना दिया था। चाणक्य कहते हैं कि दोस्ती का रिश्ता सच्चा और अच्छा होता है। चाणक्य (Chanakya) का मानना है कि दोस्ती में कुछ बातों की वजह से दरार आ जाती है, जानिए इनके बारे में-
मर्यादा–
चाणक्य कहते हैं कि हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है। मित्रता में भी एक मर्यादा होती है। लेकिन जब लोग दोस्ती में मर्यादा को भूल जाते हैं तो, उसकी दोस्ती टूट जाती है।
सम्मान–
चाणक्य कहते हैं कि हर रिश्ते में मान-सम्मान जरूरी होता है। मित्रता में भी गरिमा की बात लागू होती है। मित्र और मित्रता दोनों में ही आदर भाव होना चाहिए। जब इसमें कमी आने लगती है तो, मित्रता (Friendship) कमजोर पड़ती जाती है। इसलिए मित्रता में एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
लालच–
चाणक्य कहते हैं कि मित्रता में कभी भी लालच (greed) नहीं करना चाहिए। लोभ दुखों का कारण होता है। लालच में व्यक्ति स्वार्थी होता जाता है। स्वार्थी व्यक्ति से दोस्ती करना कोई पसंद नहीं करता है। इसलिए हर व्यक्ति को लोभ से दूर रहना चाहिए।
झूठ–
चाणक्य कहते हैं कि झूठ की बुनियाद पर कोई भी रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता है। मित्रता में भी झूठ की कोई जगह नहीं होती है। झूठ के कारण रिश्ता कमजोर होता जाता है। इसलिए व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
धोखा-
नीति शास्त्र के अनुसार, मित्रता की अहम नींव भरोसा होता है। भरोसा जितना मजबूत होगा, रिश्ता उतना ही मजबूत होगा। जब रिश्ते में विश्वास (believe) की कमी आने लगती है तो, रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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