आचार्य चाणक्य कोई साधारण व्यक्तित्व नहीं थे। वे एक महान कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ (politician) थे। अपने जीवन में उन्होंने करीब-करीब हर क्षेत्र को बारीकी से परखा। उन्हें नीतिशास्त्र (ethics) और अर्थशास्त्र का जनक भी कहा जाता है। चाणक्य ने अपनी कुशल नीतियों ( efficient policies) के बल पर ही एक साधारण से बालक को सम्राट बना दिया था। अपने जीवन के तमाम अनुभवों को उन्होंने चाणक्य नीति के जरिए लोगों से साझा किया है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं आचार्य के वो गुरू मंत्र जो आपको सफलता के शिखर तक ले जा सकते हैं।
आर्चाय चाणक्य (Acharya Chanakya) अपनी चाणक्य नीति में कहते हैं कि विद्या प्राप्त करने के लिए मन का शांत और एकचित्त होना बहुत जरूरी होता है। अशांत मन से शिक्षा प्राप्त करने पर मनुष्य केवल उस ज्ञान को सुनता है, लेकिन उसे समझ कर उसका पालन कभी नहीं कर पाता। इसलिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को अपने क्रोध पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है।
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनसुार जिस व्यक्ति के मन में दूसरों की वस्तु पाने या हक़ छीनने की भावना होती है और हमेशा उसे पाने की योजना बनाने में ही लगा रहता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपनी विद्या के बारे में सतर्क नहीं रह सकता और अपना सारा समय अपने लालच को पूरा करने में गंवा देता है। विद्यार्थी को कभी भी अपने मन में लोभ या लालच की भावना नहीं आने देना चाहिए।
जिस विद्यार्थी का मन सजने -संवरने में लग जाता है, वह अपना ज्यादातर समय इन्हीं बातों में गवां देता है। सजने-संवरने के बारे में सोचने वाला छात्र कभी भी एक जगह ध्यान केंद्रित करके विद्या नहीं प्राप्त कर पाता। विद्यार्थी को ऐसे परिस्थितियों से बचना चाहिए।
छात्रों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे आवश्यकता से अधिक नींद लेने से बचें। ज्यादा नींद से शरीर में हमेशा थकान बनी रहती है और अगर शरीर थका हो तो ध्यान केन्द्रित करना मुश्किल हो जाता है, और अध्ययन के लिए दिमाग का केन्द्रित होना अत्यंत आवश्यक होता है।
किसी अच्छे छात्र का एक सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है गंभीरता। विद्यार्थी को शिक्षा प्राप्त करने और जीवन में सफलता पाने के लिए इस गुण को अपनाना बहुत जरूरी होता है। चाणक्य नीति के अनुसार जो विद्यार्थी अपना सारा समय हंसी-मजाक में व्यर्थ कर देता है, वह कभी सफलता नहीं प्राप्त कर पाता। विद्या प्राप्त करने के लिए मन का स्थिर होना बहुत जरूरी होता है और हंसी-मजाक में लगा रहना वाला विद्यार्थी अपने मन को कभी स्थिर नहीं रख पाता।
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