नई दिल्ली: झारखंड (Jharkhand) में राज्य की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) को तगड़ा झटका लग सकता है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Former Chief Minister Champai Soren) और पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. चंपई सोरेन अगले एक दो दिन में दिल्ली में बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं से मुलाकात के बाद दिल्ली में ही बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं. राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से ही चंपई सोरेन नाराज चल रहे हैं. चंपई सोरेन को उस समय राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था जब जमीन घोटाला मामले में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था. करीब पांच महीने जेल में रहने के बाद 28 जून को हेमंत सोरेन रिहा हुए. इसके बाद उन्होंने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाते हुए राज्य की कमान अपने हाथ में ले ली. इसके बाद से चंपई सोरेन नाराज बताए जा रहे हैं.
चंपई सोरेन 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और राज्य के सातवें सीएम के रूप में काम किया. चंपई सोरेन की गिनती झामुमो के सीनियर नेताओं में होती है. सात बार के विधायक हैं. 2005 से वो लगातार सरायकेला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 1991 में पहली बार सरायकेला सीट से ही विधायक बने थे. हेमंत सोरेन ने 2019 में चंपई सोरेन को कैबिनेट मंत्री भी बनाया था. उन्हें परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण का जिम्मा दिया गया था.
झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव ऐलान से पहले ही राजनीतिक दल सियासी मोड में आ गए हैं. राज्य में विधानसभा की कुल 82 सीटें हैं इनमें से एक मनोनित है. यानी 81 सीटों पर वोट पड़ते हैं. मौजूदा विधानसभा में 27 विधायकों के साथ झामुमो सबसे बड़ी पार्टी है, जो कि विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. राज्य में झामुमो कांग्रेस, भाकपा-माले और राजद के साथ गठबंधन में सत्ता पर काबिज है. कांग्रेस के पास 18, भाकपा-माले और आरजेडी के पास 1-1 विधायक हैं. वहीं, केंद्र की सत्ताधारी दल बीजेपी झारखंड में विपक्ष की भूमिका में है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 24 सीटें मिली थीं. अन्य विपक्षी दलों में ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन को 3, राकपा को 1 और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं जबकि चार सीटे किसी वजह से खाली हैं.
चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद असम के मुख्यमंत्री ने उनकी तारीफ की थी. हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले महीने कहा था कि जब चंपई सोरेन मुख्यमंत्री थे तो किसी मामले की जानकारी मिलने के बाद वो तुरंत काम करते थे. वो उन्हें सोशल मीडिया पर एक्स पर फॉलो भी करते थे, लेकिन अब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है. ये एक तरह से चंपई सोरेन का पॉलिटिकल मर्डर किया गया है. वो अच्छा काम कर रहे थे फिर भी उन्हें पद से हटा दिया गया.
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