देहरादून। चमोली में गुरुवार को एक बार फिर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब ऋषिगंगा नदी में अचानक जल स्तर तेजी से बढ़ा गया और इस वजह से राहत और बचाव काम को रोकना पड़ गया। तपोवन टनल से मलबा निकालकर मजदूरों की तलाश में जुटी टीम को आनन-फानन निकालना पड़ा। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा, ”चमोली जिले में बचाव कार्य को अस्थायी तौर पर रोका गया है। ऋषिगंगा नदी में पानी का बहाव बढ़ गया है।”
Uttarakhand: Rescue operation temporarily halted in Chamoli district following a rise in the level of water in Rishiganga river.
A flash flood had hit the district following a glacial burst on February 7th. pic.twitter.com/k3eUrS2fKP
— ANI (@ANI) February 11, 2021
7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद आई बाढ़ में कई लोगों की मौत हो गई तो बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। टनल में भी करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। उनकी तलाश के लिए मलबा हटाने का काम चल रहा है। अभी यह नहीं पता चला है कि नदी में अचानक बहाव बढ़ने की वजह क्या है। रैणी गांव से जानकारी एकत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी और बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए थे। उसके बाद से ही सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और राज्य आपदा प्रबंधन बल (SDRF)लगातार बचाव और तलाश अभियान चला रहे हैं।
#WATCH Uttarakhand: JCB machines, equipment and rescue teams exit the tunnel in Joshimath, Chamoli district where rescue operation is underway, as the operation has been temporarily halted due to a rise in the level of water in Rishiganga river. pic.twitter.com/u8JhPqCyFB
— ANI (@ANI) February 11, 2021
बचाव अभियान में कई एजेंसियां लगी हैं और पिछले चार दिन से उनके अभियान का केंद्र यह सुरंग है और हर गुजरता क्षण इसके भीतर फंसे लोगों की सुरक्षा संबंधी चिंता को बढ़ा रहा है। बचाव कार्य में लगी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में लगातार आ रहा कीचड़ सबसे बड़ा अवरोधक बन रहा है। ऐसे में यह पता लगाने के लिए एक बड़ी मशीन से खुदाई की जा रही है कि क्या इस समस्या को किसी और तरीके से सुलझाया जा सकता है तथा क्या बचावकर्मी और गहराई में जा सकते हैं।
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