भोपाल। डाकुओं और अपराधियों की शरणस्थली रहे चंबल के बीहड़ में मोदी सरकार ने खेती करवाने की योजना बनाई है। इसमें विश्व बैंक मदद करेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि यहां 3 लाख हेक्टेयर से भी अधिक गैर-खेती योग्य बीहड़ भूमि है, जिसमें कृषि विकास किया जाएगा। एक महीने में इसकी प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पेश की जाएगी। सरकार का दावा है कि इस क्षेत्र में खेती-किसानी व पर्यावरण में सुधार होगा। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। विश्व बैंक, मध्यप्रदेश के अधिकारियों एवं कृषि विशेषज्ञों ने परियोजना पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। तोमर ने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पहले भी विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, लेकिन कुछ कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरूआत की गई है। इस परियोजना में खेती के साथ-साथ कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास भी होगा।
आर्गेनिक खेती की योजना
मध्य प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे प्रमोट करने की जरूरत है। ताकि आर्गेनिक फार्मिंग और आगे बढ़ सके। प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे। विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने का इच्छुक है। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। विश्व बैंक के ही अधिकारी एबल लुफाफा ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां है, उन्हें समझते हुए प्रोजेक्ट पर विचार किया जाएगा। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं।
चंबल नदी के किनारे जैविक खेती
तोमर ने कहा कि क्षेत्र में चंबल नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई। इसलिए यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी। जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, यहीं से गुजरेगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होंगी।
सैटेलाइट इमेज से प्रारूप बनाया जाएगा
मप्र के कृषि उत्पादन आयुक्त केके सिंह ने कहा कि पुराने प्रोजेक्ट को रिवाइज किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुरूप महीनेभर में प्रारंभिक रिपोर्ट बनाने पर सहमति जताई। विश्व बैंक के साथ सहयोग करते हुए सेटेलाइट इमेज सहित अन्य माध्यमों से परीक्षण कर प्रारूप बनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि रिसर्च, टेक्नालाजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत लागत, निवेश आदि पर विचार किया जाए।
मप्र में काम करने के इच्छुक है
विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मप्र में काम करने की इच्छुक है। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है यह देखना होगा। प्रोजेक्ट नए रिफार्म के अनुकूल हो सकता है। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं। मार्केटिंग की सुविधा, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना बनाना होगी। वैल्यू चैन पर काम करना ज्यादा फायदेमंद होगा।
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