नई दिल्ली (New Delhi)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections)में भाजपा की रणनीति(BJP’s strategy) के लिए चार राज्यों कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और बिहार के राजनीतिक (Bihar political)व सामाजिक समीकरण काफी महत्वपूर्ण हैं। इन राज्यों में भाजपा को न केवल अपने अंदरूनी मामलों से निपटना पड़ रहा है, बल्कि विपक्ष की तरफ से भी कई सीटों पर चुनौती मिलने की संभावना है। इन राज्यों में बीते चुनाव में भाजपा और एनडीए को भारी सफलता मिली थी।
बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जब तीन सौ का आंकड़ा पार किया था तो पार्टी व उसके गठबंधन ने इन चारों राज्यों की 103 सीटों में से 99 सीटों पर जीत मिली थी और महज चार सीटें विपक्ष के हिस्से में गई थी। इस चुनाव में भी भाजपा इस आंकड़े को दोहराना चाहती है, लेकिन टिकट वितरण, बाहर से आए नेताओं को टिकट देना, नए सहयोगी और विपक्ष की रणनीति के मुद्दों से निपटना पड़ रहा है।
कर्नाटक में सबसे ज्यादा मुश्किलें
भाजपा के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत कर्नाटक बना हुआ है। पिछले आम चुनाव में यहां 28 सीटों में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि विधानसभा चुनाव में उसे कांग्रेस से करारी हार का सामना करना पड़ा। इस आम चुनाव में भाजपा ने जद (एस) के साथ गठबंधन किया है, ताकि सामाजिक समीकरण साधे जा सके। जद (एस) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से आते है और इस समुदाय पर उनका खासा प्रभाव है, दूसरी तरफ बीएस येदियुरप्पा के चलते राज्य के प्रभावी लिंगायत समुदाय को भाजपा का समर्थक माना जाता है।
हालांकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने से स्थितियां बदली हैं। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावी नेता बनकर उभरे हैं। ऐसे में भाजपा को जद (एस) के साथ जाने से कितना लाभ मिलता है, इसे लेकर संशय है। साथ ही भाजपा में अपने मौजूदा सांसदों सदानंद गौड़ा, अनंत हेगड़े और नलिन कटील जैसे नेताओं के टिकट काटने से भी असंतोष है।
हरियाणा में कड़ा मुकाबला
हरियाणा में भाजपा ने पिछली बार सभी 10 सीटें जीती थी। पार्टी ने हाल में मुख्यमंत्री बदलकर अपनी रणनीति भी बदली है, हालांकि यहां पर मुकाबला कड़ा हो सकता है। पार्टी ने कुरुक्षेत्र में कांग्रेस से आए नवीन जिंदल और सिरसा में अशोक तंवर को और हिसार में हाल में पार्टी में शामिल हुए रंजीत चौटाला को टिकट दिया है। इससे पार्टी में नाराजगी है।
राजस्थान में कांग्रेस दे रही टक्कर
राजस्थान में भाजपा ने बीते चुनाव में गठबंधन में सभी 25 सीटें जीती थी। इसमें 24 उसने खुद और एक पर तब की सहयोगी आरएलपी जीती थी। इस बार राज्य में भाजपा की सरकार है, लेकिन बांसबाड़ा, कोटा, बाड़मेर, चुरू व अलवर की सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
बिहार में जातिगत समीकरण अहम
बिहार में बीते चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं। इस बार फिर से भाजपा का उसी तरह का गठबंधन है। इसमें दो और दल भी जुड़े हैं। हालांकि राजद भी इस बीच काफी मजबूत हुआ है। यहां पर सामाजिक जातिगत समीकरण काफी अहम है। कुछ सीटों पर राजद व उसके सहयोगी कड़ी चुनौती दे सकते हैं।
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