नई दिल्ली (New Delhi) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सुरक्षा बलों (security forces) के लगातार ऑपरेशन और दबदबा बनाने की कोशिश के बावजूद लगातार आतंकी घुसपैठ (terrorist infiltration) और गुफाओं में उनका ठिकाना बड़ी चुनौती बना हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि सेना और अर्धसैन्य बलों के जवान जोखिम उठाकर दुरूह इलाकों में भी ऑपरेशन क्लीन के तहत आतंकियों का सफाया करने की मुहिम में जुटे हैं। इसकी वजह से जवानों की शहादत हो रही है। सुरक्षा बलों की निगाह दस प्रमुख पॉइंट्स पर है जहां से आतंकी घुसपैठ हो रही है। साथ ही उन गुफाओं में ऑपरेशन क्लीन चलाया जा रहा है जहां आतंकी पनाह लेकर बैठे हैं। फिलहाल इस मुहिम में इस साल भी 27 जवानों को शहादत देनी पड़ी है।
सूत्रों के मुताबिक पीर पंजाल इलाका जो जम्मू रीजन को घाटी से जोड़ता है वहां कई पुरानी खतरनाक गुफाएं हैं जिनका इस्तेमाल आतंकी छिपने को कर रहे हैं। विदेशी आतंकियों की मौजूदगी भी इन इलाकों में होने की जानकारी खुफिया एजेंसियों के जरिए सुरक्षा बलों को मिली है। पीर पंजाल इलाके की भौगोलिक स्थिति कुछ मायनों में अफगानिस्तान के पहाड़ों जैसी है इसलिए यह आतंकियों के छिपने की पसंदीदा जगह है। पीर पंजाल के जंगल का इलाका भी इससे जुड़ा हुआ है। इस इलाके की जानकारी रखने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर यहां आतंकियों तक रसद और अन्य साजो सामान पहुंचाते हैं।
केसरी हिल क्षेत्र में भी छिपते हैं आतंकी
राजौरी के कोटरंका का केसरी हिल इलाका भी आतंकियों के छिपने की जगह बना हुआ है। इन इलाकों की भौगोलिक स्थिति और जंगल काफी जटिल है। यहां करीब एक दर्जन गुफाओं के अलावा सघन जंगल आतंकियों के घुसपैठ के साथ छिपने के लिए माकूल जगह का काम करते हैं। इन इलाकों में पिछले कुछ महीनों में आतंकी चार-पांच वारदात को अंजाम दे चुके हैं।
सूत्रों ने बताया कि दूधियापन लांच पैड से कैथनवाली फारेस्ट से होते हुए मगाम फारेस्ट के जरिए कुपवाड़ा आतंकियों की घुसपैठ का प्रमुख रास्ता रहा है। केल लांच पैड रूट से लोलाब घाटी होते हुए भी आतंकी घुसपैठ के लिए आते हैं। नल्ली रूट से मनजियोट के रास्ते दंडसेर फारेस्ट के जरिए कलाकोट, बताल गाँव से कस नाला होते हुए राजौरी सहित दस ऐसे दुरूह रास्तों को घुसपैठियों का प्रमुख रूट मानकर पूरी मैपिंग की गई है।
60-70 विदेशी आतंकी बने हैं चुनौती
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान लगातार घाटी में अपने सौ के करीब आतंकियों की मौजूदगी बनाए रखता है। इस समय भी करीब 60 से 70 विदेशी आतंकी चुनौती बने हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि जैसे ही आतंकियों की संख्या कम होती है अलग-अलग रूट से घुसपैठ कराकर एक निर्णायक संख्या बनाए रखने की कोशिश होती है।
आम लोगों की मौत में 77 प्रतिशत की कमी
एक अधिकारी ने कहा कि घुसपैठ करके आए आतंकियों का सफाया करने में मुठभेड़ के दौरान कई बार दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से हमारे जवान भी शहीद होते हैं। हालांकि जवानों की सजगता से ही हिंसा और आम नागरिकों की मौत में 77 फीसदी तक कमी आई है। सूत्रों ने कहा बुधवार की घटना से पहले इस साल 20 अप्रैल और पांच मई को पुंछ के मेंढर क्षेत्र और राजौरी के कंडी जंगल में आतंकी हमले में दस सैनिकों की मौत हुई थी। इस साल जम्मू-कश्मीर में 81 आतंकी मारे गए जबकि 27 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। सूत्रों ने कहा कि इस समय भी आईएसआई पीओके में स्थित आतंकी बेस के जरिए घुसपैठ के प्लान पर काम कर रही है। एंटी घुसपैठ ग्रिड को हर प्वाइंट पर सक्रिय रखा गया है।
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