नई दिल्ली। किसान आंदोलन के कार्यक्रमों को लेकर किसान संगठनों के नेताओं के बीच तालमेल नहीं होने अथवा मतभेद उभरने के संकेत मिले हैं। शनिवार को आयोजित ‘चक्का जाम’ के बाद किसान संघर्ष मोर्चा के नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अलग रखने का फैसला भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अपने स्तर पर लिया था। यह जल्दबाजी में किया गया ऐलान था तथा इस सम्बन्ध में उन्होंने अन्य किसान नेताओं से बातचीत नहीं की थी। यदि वह अन्य लोगों बातचीत करते तो बेहतर रहता।
सिंह ने कहा कि टिकैत की दलील थी कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम से हिंसा हो सकती है। दूसरी ओर राकेश टिकैत ने चक्का जाम के दौरान पंजाब के लुधियाना में आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाला एक झंडा लगाए जाने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो गलत है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। जो चीज प्रतिबन्धित है उसका प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए। वह इस बारे में संबन्धित लोगों से बातचीत करेंगे।
इस बीच किसान संगठनों ने सरकार की ओर से शुक्रवार को संसद में दी गयी इस जानकारी की आलोचना की है कि दिल्ली पुलिस के अनुसार किसान आंदोलन के दौरान अब तक दो लोगों के मरने और एक व्यक्ति के आत्महत्या करने की सूचना है। सरकार से पूछा गया था क़ि दिसंबर और जनवरी महीने दौरान कितने किसानों की मौत हुई है। इसके उत्तर में कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि केंद्र के पास ऐसे आंकड़े नहीं हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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