चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) शक्ति की उपासना का प्रमुख पर्व है. इस साल यह 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल, 2022 तक चलेगी। धार्मिक दृष्टिकोण से चैत्र नवरात्रि बेहद है. नवरात्रि (Navratri) के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा(Prayer) का विधान है। चैत्र नवरात्रि, व्रत और पूजा-अर्चना (Worship and all) के साथ-साथ वास्तु दोष दूर करने के लिए भी खास है. माना जाता है कि इस नवरात्रि की अवधि में कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है!
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12 बजे से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक
(घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है.)
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 01, 2022 को 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 02, 2022 को 11 बजकर 58 मिनट तक
-चैत्र नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व है. ऐसे में इसे जलाते वक्त वास्तु के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में अखंड दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के जानकार बताते हैं कि ऐसा करने से बीमारियां दूर होती हैं. साथ ही शत्रुओं से भी छुटकारा मिलता है.
-चैत्र नवरात्रि की अवधि में मां लक्ष्मी(Maa Lakshmi) की भी उपासना की जाती है. चैत्र नवरात्रि के सभी दिन घर के प्रवेश द्वार पर माता लक्ष्मी के पैर अंदर की ओर आते हुए बनाएं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है. साथ ही धन-वैभव में बढ़ोतरी होती है.
-चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश में जल भरकर उसमें लाल फूल और अक्षत डालें. इसके बाद इस कलश को दफ्तर या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार पर पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. ऐसा करने से व्यापार में तरक्की मिलती है.
-जो भक्त नवरात्रि में व्रत रखते हैं उन्हें अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन जरूर करना चाहिए. कन्याओं को भोजन कराते वक्त उनका मुंह पूरब या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से घर में बरकत आती है.
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