नई दिल्ली। आज रामनवमी (Ram Navami) है. देशभर में इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. साथ ही, इस दिन को चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) का समापन भी होता है. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) का नौवां दिन रामनवमी कहलाता है. इसी दिन कन्या पूजन (Girl worship) के साथ ही नवरात्र समाप्त हो जाते हैं. कहते हैं कि नवमी पर कन्या पूजन करने से आदिशक्ति का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की सारी समस्याओं का अंत हो जाता है. आइए जानते हैं कि इस बार रामनवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।
भगवान राम और मां सिद्धिदात्री की पूजा (Navami 2025 puja vidhi)
रामनवमी पर भगवान राम के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री की भी पूजा होती है. नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. पूजा के लिए निर्धारित जगह को साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें. इसके बाद लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र रखें. दीपक जलाएं. फूल-फल आदि चाढ़एं. और रामचिरतमानस और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
रामनवमी की तिथि (Navami 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को शाम 07:26 बजे से शुरू होगी और 6 अप्रैल 2025 को शाम 07:22 बजे तक रहेगी. हिंदू धर्म में उदिया तिथि का विशेष महत्व होता है और इसी को ध्यान में रखते हुए 6 अप्रैल 2025 यानी आज रामनवमी मनाई जा रही है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त (Navami 2025 Kanya pujan shubh muhurt)
हिंदू पंचांग के अनुसार, महानवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त रविवार, 6 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 59 से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. यानी कन्या पूजन के लिए आपको सिर्फ एक घंटे का समय मिलने वाला है.
कन्या पूजन की विधि (Navami 2025 Kanya pujan vidhi)
रामनवमी के दिन नौ छोटी-छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप समझकर पूजने का विधान है. इस दिन इन कन्याओं के चरण स्पर्श कर भोज कराया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है. कन्याओं के साथ एक छोटे से बालक को भी घर बुलाया जाता है, जिसे बटुक भैरव कहते हैं. आइए अब कन्या पूजन की प्रक्रिया समझते हैं।
1. सबसे पहले कन्याओं को एक दिन पहले ही निमंत्रण देकर घर बुलाएं.
2. कन्याओं के घर आगमन पर उनके पैर धुलाएं और उन पर पुष्प वर्षा करें.
3. इसके बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाएं.
4. उनकी आरती करें और चंदन का टीका लगाएं. हाथ में रक्षासूत्र बांधें.
5. इसके बाद कन्याओं को भोजन कराएं. ध्यान रखें उनके खाने में लहसून-प्याज न हो.
6. कन्याओं को भोज में खीर-पूरी, चने की सब्जी, फल, मिठाई आदि खिलाएं.
7. भोजन होने के बाद उनके हाथ धुलाएं.
8. इसके बाद उन्हें दान-दक्षिण या उपहार दें.
9 अंत में उनके पैर छुकर प्रणाम करें और फिर उन्हें सम्मान पूवर्क विदा कर दें.
10. कन्या पूजन के बाद स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें. फिर कलश, ज्वार, अखंड ज्योति और अन्य पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।
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