नई दिल्ली। ग्रह मंडल के अधिष्ठाता भगवान सूर्य (Lord Surya) के राजा और मंत्री पद संभालने के साथ ही विक्रमी संवत 2082 (Vikram Samvat 2082) का शुभारंभ आज रविवार से हो गया है। इसी के साथ आज से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) भी प्रारंभ हो गए हैं। एक तिथि का क्षय होने के कारण इस बार नवरात्र नौ के बजाए आठ दिन के होंगे। हाथी पर सवार होकर मां भगवती (Maa Bhagwati) आ रही हैं।
आर्थिक विकास के लिए शुभ
विक्रमी संवत 2082 को आर्थिक विकास के लिए अच्छा बताया जा रहा है। लेकिन कुछ चुनौतियां भी रहेंगी। खासकर मौसम को लेकर। इस साल ग्रहों की भी चाल बदलेगी। शनि की चाल तो 29 मार्च से ही बदल रही है। इसके अतिरिक्त गुरु, राहु और केतु की भी स्थिति बदलेगी।
30 मार्च 2025
ज्योतिषाचार्य पीके युग के अनुसार 30 मार्च को चैती नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.13 बजे से 10.22 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.01 बजे से 12.50 बजे तक है।
कलश स्थापना की विशेष बातें
● कलश ईशान कोण या पूरब-उत्तर दिशा में स्थापित करें
● कलश पर स्वास्तिक बनाएं
● कलश पर अष्टभुजी देवी स्वरूप 8 आम के पत्ते लगाएं
● रोली, चावल, सुपारी, लौंग, सिक्का अर्पित करते हुए कलश स्थापित करें
● धन-आरोग्यता के लिए कलश पर चावल की कटोरी रखें
अखंड ज्योति के नियम
● घी और तेल दोनों की अखंड ज्योति जला सकते हैं
● घी का दीपक दाएं और तेल का दीपक बाएं रखें
● दीपक में एक लौंग का जोड़ा अवश्य अर्पित करें
तृतीय तिथि का क्षय
ज्योतिषचार्य विभोर इंदूसुत ने बताया कि 31 मार्च सुबह 9:11 बजे तृतीया तिथि आरंभ होगी और एक अप्रैल के सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी। इसलिए द्वितीया और तृतीया का पूजन 31 को होगा।
पंचग्रही योग है इस बार
100 वर्षों बाद अद्भुत पंचग्रही योग बन रहा है, जो वृष, मिथुन, कन्या, मीन, धनु, मकर और कुंभ राशि के के लिए फलदायक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, मालव्य योग, राजयोग आदि शुभ संयोग बन रहे हैं। पंडित प्रेम सागर पांडे के मुताबिक, बनारस पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है। विनोदानंद झा के अनुसार मिथिला पंचांग में एक अप्रैल को तृतीया और चतुर्थी एक साथ पड़ रहा है।
हाथी पर आएंगी देवी
नवरात्र पर देवी भगवती हाथी पर सवार होकर आएंगी। आठ दिन के नवरात्र होने के कारण नवरात्रि का समापन भी रविवार को होगा।
नवरात्र
प्रतिपदा – मां शैलपुत्री
द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी
तृतीया – मां चंद्रघंटा
चतुर्थी – मां कुष्मांडा
पंचमी – मां स्कंदमाता
षष्टी – मां कात्यायनी
सप्तमी – मां कालरात्रि
अष्टमी – मां महागौरी
नवमी – मां सिद्धिदात्री और श्रीरामनवमी
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