रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने नक्सल क्षेत्रों (Naxal areas) में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025’ (‘Naxal Surrender Victim Relief and Rehabilitation Policy 2025’) लागू की है। इस नीति के अंतर्गत सरेंडर करने वाले सक्रिय नक्सलियों और उनके परिवारजनों को शिक्षा, रोजगार एवं वित्तीय सहायता जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
यदि सरेंडर करने वाले किसी नक्सली ने नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग दिया है। इसके कारण उसकी जान व संपत्ति को खतरा उत्पन्न हुआ है, तो ऐसे मामलों में उसे पुलिस विभाग में कांस्टेबल या समकक्ष पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। अन्य विभागों में नियुक्ति के लिए जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी।
साथ ही, पांच लाख रुपए या उससे अधिक के इनामी नक्सली के सरेंडर करने की स्थिति में, पात्रता रखने पर नक्सली अथवा उसके परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय सेवा में नियुक्ति का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी कारणवश सेवा नहीं दी जा सकती, तो एकमुश्त 10 लाख की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी। यह राशि तीन वर्षों के अच्छे आचरण के बाद एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी व्यापक प्रावधान किए हैं। बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क एवं प्राथमिकता आधारित शिक्षा शासकीय एवं आवासीय विद्यालयों में दी जाएगी। छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी। यदि सरेंडर करने वाले नक्सली या उनके बच्चे निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहें, तो उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीट में प्रवेश एवं अनुदान राशि प्रदान की जाएगी।
इच्छुक नक्सली स्वयं भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, जिसके लिए संबंधित विभागों की योजनाओं के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। यह नई नीति राज्य में शांति एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल सरेंडर करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारजनों के भविष्य को भी सुरक्षित किया जा सकेगा।
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