रायपुर (Raipur)। चुनावी हो-हल्ले से मीलों दूर नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ (Naxalite stronghold Abujhmad) में अलग तरह का शोर है। मतदान बहिष्कार का फरमान (Voting boycott decree) जारी कर चुके नक्सलियों (Naxalite) ने यहां महीनों से 15 ग्राम पंचायतों (15 Gram Panchayats) के अदिवासियों को धरने पर बैठा रखा है। अपने सबसे सुरक्षित गढ़ अबूझमाड़ में नक्सली सुरक्षाबलों का दखल (Interference of security forces) बढ़ते देख घबराए हैं। उन्होंने क्षेत्र में हालात सामान्य करने की कोशिशों को भोलेभाले लोगों की आड़ ले छलनी करने की कोशिश की है। पुलिस-प्रशासन के सामने इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान चुनौती है।
नारायणपुर जिला मुख्यालय से सोनपुर सुरक्षाबलों के कैंप के रास्ते में 25 किमी बाद अबूझमाड़ का प्रवेश द्वार है। यहीं से शुरू होते हैं हरे-भरे जंगल, जो लाल आतंक के साये में सहमे-सहमे से लगते हैं। नारायणपुर शहर से साथ गए युवक ने बताया, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली बॉर्डर जाने वाली इस सड़क पर चौपहिया वाहनों की आवाजाही इक्का-दुक्का रहती है। सुरक्षाबलों के कैंप बनने से नक्सली वारदातों में काफी कमी आई है। सड़क से नजदीक के गांवों में रहा नक्सली दखल भी घटा है। हालांकि, अंदर के गांव अब भी आजाद नहीं हो सके हैं।
माओवादियों ने ग्रामीणों को भड़काया
धरने वाले ओरछा ब्लॉक के इरकभट्टी और तोयामेटा गांवों में बातचीत में चला कि बड़ी संख्या में आदिवासियों को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों और पुलिस के खिलाफ भी खूब भड़काया है। इनकी दो मांगें लंबे समय से हैं, यह कि वन संरक्षण अधिनियम में बदलावों को रद्द करना और पेसा कानून लागू करना। पुलिस और सुरक्षाबलों के कैंप खुलने का विरोध किए जाने से पता चलता है कि पूरा आंदोलन नक्सल प्रेरित है। इन्हीं मांगों को लेकर डोंडारीबेड़ा और नदीपारा गांव में भी धरना चल रहा है।
प्रदेश के औसत का आधा भी मतदान नहीं
बस्तर से नक्सली गतिविधयों पर अंकुश के तमाम दावों की हकीकत नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र के अबूझमाड़ में दिखती है। वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में यहां प्रदेश के औसत से आधे से भी काफी कम मतदान हुआ था।
चुनाव आयोग के अनुसार, पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में औसत मतदान लगभग 76.45 प्रतिशत था। नारायणपुर जिले का औसत मतदान प्रतिशत लगभग 74.88 था। ओरछा ब्लॉक में आने वाले अबूझमाड़ क्षेत्र के कुल 30 बूथों पर कुल 15018 मतदाता थे। इनमें से महज 4867 ने मतदान में हिस्सा लिया। प्रतिशत में यह आंकड़ा 32.41 बैठता है।
20 से 22 बूथों में गिनती के लोग मतदान करने पहुंचे थे। अबूझमाड़ क्षेत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 30 में से 29 बूथों पर मतदान दलों को हेलिकॉप्टर से भेजा जाएगा।
ग्रामीणों पर दबाव…धरना से इन्कार तो राशन बंद
पता चला कि कई लोग अनिच्छा के बावजूद नक्सलियों के दबाव में धरने से इन्कार नहीं कर पाते। एक युवक ने बताया, दो सौ परिवारों का गांव है तो 50 परिवार क्रमवार धरने में शामिल होंगे। धरने में शामिल लोगों के खेत या पशुपालन से जुड़ा काम बचे हुए 150 परिवार मिलजुलकर करेंगे। धरने से इन्कार करने या बिना पूर्व सूचना के गैरहाजिर रहने पर उस परिवार का राशन बंद करा दिया जाता है। अभी नक्सली इतने प्रभावी हैं कि उनकी मर्जी से ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का राशन बंटता है। वहीं नक्सलियों से जुड़े कुछ लोगों ने धरनास्थलों पर अस्थायी आवास भी बना डाले हैं।
विधानसभा सीट का हाल
2018 में नारायणपुर सीट से कांग्रेस के चंदन सिंह कश्यप ने लगातार दो बार मंत्री रहे भाजपा के केदार कश्यप को महज 2647 मतों से हराया था। चंदन और केदार फिर आमने-सामने हैं। यहां से एक निर्दलीय समेत 7 अन्य उम्मीदवार भी हैं, लेकिन सीधा मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में ही है।
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