इन्दौर (Indore)। जिले में प्रतिदिन सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो रही है। जागरूकता नहीं होने और साफ-सफाई के साथ नियमित जांच (routine check up) में कमी के चलते सिर्फ एमवाय अस्पताल में ही नहीं 200 से अधिक महिला थर्ड स्टेज पर इलाज के लिए पहुंच रही हैं। निजी अस्पतालों और क्लिनिकों के यदि आंकड़ों को भी एकत्रित किया जाए तो यह आंकडा 500 के पार पहुंच सकता है। कैंसर अस्पताल में वर्तमान में 20 हजार मरीज इलाज करा रहे हैं।
जिस तेजी से कैंसर के मामले बढ़े हैं, स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में चलाए गए जांच अभियान में पिछले दिनों 14103 महिलाओं में से 493 में लक्षण पाए गए थे। इसमें से गंभीर अवस्था में 236 महिलाओं को विभिन्न तरह की थैरेपी देकर इलाज किया जा रहा है। विभाग ने सर्वाइकल कैंसर को लेकर छेड़ रखी मुहिम के लिए 98 सर्विस प्रोवाइडर को ट्रेनिंग भी दी है। कैंसर अस्पताल एचओडी डॉ. आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न तरह के कैंसर से पीडि़त लगभग 20 हजार मरीज वर्तमान में चिकित्सारत हैं, जिसमें से कई महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीडि़त हैं। तेजी से सर्वाइकल कैंसर भी महिलाओं को अपनी जकड़ में ले रहा है। हालांकि पूर्व में सरकार ने सर्वाइकल कैंसर के बचाने के लिए कच्ची उम्र में ही बच्चियों के टीकाकरण के दावे किए, लेकिन यह सिर्फ कोरी घोषणाएं ही साबित हुईं। सरकारी अस्पतालों में भी यह टीकाकरण नहीं करवाया जा रहा है।
हर दिन 800 की जांच
एमटीएच अस्पताल में हर दिन इलाज व जांच के लिए पहुंच रही महिलाओं की स्क्रीनिंग की जा रही है। लगभग 800 महिलाओं की जांच वीआई टेस्ट कर की जा रही है। 35 से 55 साल तक की महिलाओं की स्क्रीनिंग के साथ-साथ टेस्ट फ्री में किए जा रहे हैं, लेकिन महिलाओं में जागरुकता की कमी होने के कारण अब भी मरीज तीसरी या लास्ट स्टेज में पहुंच कर इलाज के लिए सामने आ रहे हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा दवे ने बताया कि सर्वाइकल के लिए लगाए जाने वाला टीका अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, लेकिन बाहर से लेकर आने वाले लोगों को सुविधा दी जारही है। डाक्टर के अनुसार यदि समय पर जांच की जाए तो महिलाओं में आंकड़े कम किए जा सकते हैं।
2800 में 10 टीके
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सर्वोवेक्स और गाढ़ासिल का टीकाकरण किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में इसकी डिमांड नहीं है, लेकिन लोग बाहर से खरीदकर लगाने आ रहे हैं। 2800 रुपये में मिलने वाली आईपुल से 10 बच्चियों को टीकाकृत किया जा सकता है। 11 साल से 17 साल की उम्र में टीकाकरण यदि करवाया जाए तो बहुत हद तक कैंसर के लिए कारण इंफेक्शन से बचा जा सकता है। यदि बच्चियों को कम उम्र में ही माहवारी के दौरान स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाए तो भी बचाव संभव है।
डॉक्टरों को नहीं भरोसा
सर्वाइकल कैंसर के लिए अर्ली डिटेक्शन ही कारगर उपाय है। कैंसर अस्पताल के डाक्टर आर्य के अनुसार अभी और टीके की जांच की जाना जरूरी है। पहले अलग-अलग ग्रुप बनाकर वैक्सीनेशन का ट्रायल किया जाना चाहिए। हालांकि आयुष्मान के तहत प्रायवेट अस्पतालों में इलाज की प्रक्रिया शुरू होने के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम ही पहुंच रही है।
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