नई दिल्ली। जर्मन कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) के एक समूह ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह सभी विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों से जुड़ी प्रमुख जर्मन कंपनियों से थे। पीएम मोदी के मेक इन इंडिया विजन को उन्होंने पूरे विश्व की जरूरत बताया। साथ ही भारत में निवेश, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और कारोबार के नये अवसरों पर भी चर्चा की।
20 साल में भारत बहुत आगे होगा
हापाग लॉयड के सीईओ रोल्फ हेबन बोले-दुनिया को मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम चाहिए, और इससे हुए उत्पादन को निर्यात करने वाले भी। बुनियादी ढांचे में अच्छा विकास इसमें मदद करेगा। हम जानते हैं कि अगले 20 साल में भारत बहुत आगे बढ़ने वाला है।
भारत में वास्तविक संभावनाएं दिख रहीं
डॉयचे पोस्ट डीएचएल समूह के सीईओ डॉ. टोबियस मेयर ने कहा, भारत में बुनियादी ढांचे के विकास-बीज डाले जा रहे हैं, उनकी फसल जल्द तैयार होगा। हम यहां वास्तविक संभावनाएं और चीजें आगे बढ़ती देख रहे हैं।
भारत में टिकाऊ काम
एसएसपी के सीईओ क्रिश्चियन क्लीन बोले- भारत में हम हजारों स्टार्ट-अप के साथ काम कर रहे हैं। यहां टिकाऊ तरीके से काम करने की ऊंची संभावनाएं हैं। हम यहां अपना निवेश दोगुना करने जा रहे हैं।
स्थानीय संस्कृति अपनानी होगी
रेथमन कंपनी के सीईओ क्लेमेंस रेथमन ने कहा-भारत आकर आपको यहां की संस्कृति को स्वीकार करना होता है। इस महान और सुंदर देश में आकर आप ऐसा नहीं कह सकते कि हम जैसा चाहते हैं, उन्हें वैसा व्यवहार करना होगा।
इस तरह की बैठक सराहनीय
रक्षा उत्पाद कंपनी की सीईओ सुसन वीगेंड ने कहा-यहां आना और पीएम मोदी के साथ बैठक में शामिल होना सम्मान की बात है, ऐसी बैठक सराहनीय हैं। हम भारत सरकार के विश्वसनीय सहयोगी हैं, नौसेना सहित सशस्त्र बलों को आपत्ति भी कर रहे हैं।
भारत आने वाली कंपनियों को सहयोग
टीयूवी नॉर्ड के सीईओ डर्क स्टीनकैंप बोले-मैं शुरू से मेक इन इंडिया के बारे में जानता हूं। इसी वजह से कई जर्मन कंपनियों को भारत आकर उत्पादन करने में सहयोग दे रहा हूं।
शोध-विकास में भी काम करेंगे
एसएफसी एनर्जी के सीईओ पीटर पोडेस्सर ने कहा-मेक इन इंडिया में हम न केवल उत्पादन, बल्कि शोध और विकास की भी नई संभावनाएं देख रहे हैं।
कई संकेत सकारात्मक, हो रहा निवेश
सीमंस एजी के सीईओ रोलैंड बुश ने कहा-यहां केवल ऊर्जा नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा क्षेत्र में काफी निवेश हो रहा है। यह परिवहन से लेकर उत्पादकता तक सुधार सकता है। यहां 1.6 करोड़ एमएसएमई की मौजूदगी है।
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