नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Delhi High Court Central Vista Project) मामले में दायर याचिका पर सोमवार (31 मई) को फैसला सुनाएगा। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच फैसला सुनाएगी। कोर्ट 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्दार्थ लूथरा ने कहा था कि वर्तमान संकट के माहौल में निर्माण में लगे मजदूरों का स्वास्थ्य खतरे में है। उन्होंने कहा था कि 4 मई को जब याचिका दायर की गई थी उस समय दिल्ली में स्थिति काफी भयानक थी। ये अच्छी बात नहीं है कि लोगों की तकलीफों के लिए कोर्ट में याचिका दायर करना पड़े। स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि मानव जीवन की रक्षा संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत सरकार का दायित्व है। दिल्ली में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के बाद 19 अप्रैल को सभी चीजों पर कर्फ्यू लगा दिया गया लेकिन सेंट्रल विस्टा को निर्माण की अनुमति दे दी गई।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि शापूरजी पलोनजी ने सेंट्रल विस्टा के लिए काम कर रहे मजदूरों, निरीक्षण स्टाफ और मैटेरियल के परिवहन की अनुमति मांगी। तब लूथरा ने कहा कि केंद्र के हलफनामे में अनुमति देने संबंधी कोई दस्तावेज का जिक्र नहीं किया गया है। लूथरा ने केंद्र सरकार की उस दलील को गलत बताया जिसमें कहा गया था कि निर्माण स्थल पर मजदूरों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं और वहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने झूठा हलफनामा दाखिल किया है।
तुषार मेहता ने कहा था कि ये बहस का विषय नहीं है कि जीवन का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का हिस्सा है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को कई चुनौतियां हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मिलीं। कई दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। इसका निर्माण काफी दिनों से चल रहा है। उन्होंने अप्रैल का एक नोटिफिकेशन दिखाया था जिसमें निर्माण कार्य पर कोई रोक की बात नहीं कही गई थी। उसके बाद रेस्टोरेंट और दूसरे कार्यों की अनुमति दी गई।
सेंट्रल विस्टा का निर्माण कर रहे शापूरजी पलोनजी की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पता है लेकिन उसके बावजूद ये याचिका दायर कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 5 जनवरी को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी। तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा के लिए जमीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलने को सही करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण क्लियरेंस मिलने की प्रक्रिया को सही कहा था।
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