नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि केंद्र सरकार राज्यों को पूरा बकाया जीएसटी मुआवजा चुकाएगी। GST मुआवजे को लेकर अफवाहों पर स्पष्टीकरण दिया है कि जीएसटी मुआवजे का नुकसान कोरोना वायरस की वजह से हो या जीएसटी लागू करने से हो, लेकिन मुआवजा चुकाने से केंद्र ने कभी हाथ नहीं खींचे हैं। जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए हैं।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार पूरे 2.35 लाख करोड़ रुपये से राज्यों के जीएसटी मुआवजे की भरपाई करेगी। अधिकारियों ने ये भी कहा कि जीएसटी के संग्रह में कमी आई है लेकिन इसके बावजूद राज्यों को पूरा भुगतान किया जाएगा। मीडिया में प्रसारित समाचार और राय है कि केंद्र अपने कमिटमेंट का सम्मान नहीं कर रहा है वह गलत और निराधार है और अनावश्यक भ्रम पैदा करना है।
केंद्र के गणित के हिसाब से इस राशि में से करीब 97,000 करोड़ रुपये की ही राशि है जिसका नुकसान जीएसटी पर अमल की वजह से होगा जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान कोविड- 19 के प्रभाव की वजह से होगा। केंद्र सरकार ने जीएसटी राजस्व की भरपाई के लिए राज्यों के समक्ष पिछले महीने दो विकल्प रखे थे। एक विकल्प यह दिया था कि राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति का 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की सुविधा से उधार लेकर पूरा कर लें और दूसरा विकल्प कि राज्य 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी राशि बाजार से जुटा लें। इस उधार को चुकाने के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखा जाएगा।
जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर विलासिता, गैर-जरूरी और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाता है। गैर- भाजपा शासित छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्यों को दिये गये दोनों विकल्पों का विरोध किया है। पश्चिम बगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने राजस्व भरपाई के लिए राज्यों द्वारा उधार लेने के सुझाव को दर किनार करते हुए केंद्र से भरपाई का इंतजाम करने को कहा है। केंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया कि जीएसटी कानून के तहत क्षतिपूर्ति उपकर ऐसा कर है जो कि राज्यों का है। केंद्र का इस पर अधिकार नहीं है ऐसे में केंद्र इस कर के एवज में बाजार से उधार नहीं जुटा सकता है।
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