भोपाल। मप्र के पुलिस मुख्यालय द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत केन्द्र सरकार को भेजे गए 45 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दी जा रही है। इस योजना को केन्द्र सरकार द्वारा दो दशक पहले 2001-2002 में शुरू किया गया था। योजना के माध्यम से सभी राज्यों को कम्प्यूटराइज्ड करने के साथ वाहन, उपकरण, हथियार, सीसीटीएनएस, सीसीटीवी, ट्रैफिक, दूरसंचार आदि के उपकरणों की खरीद के लिए राशि दी जाती है। शुरूआत में योजना के तहत चार सालों तक मप्र की पुलिस को एक अरब की राशि दी जाती थी, लेकिन बाद में उसकी कटौती कर दी गई। पूर्व में मिलने वाली एक अरब की राशि का उपयोग आधुनिकीकरण के साथ ही पुलिस आवास, प्रशासकीय भवन, थाना, चौकी और कंट्रोल रुम के भवन निर्माणों में भी किया जाता था। अब यह निर्माण कार्य प्रदेश सरकार के जिम्मे किए जा चुके हैं। इसकी वजह से अब मप्र को इस मद में मिलने वाली राशि में कटौती कर दी गई है, जिसकी वजह से अब मप्र को एक अरब की जगह हर साल 45 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। नए वित्त वर्ष के लिए योजना तैयार कर राशि जारी करने के लिए प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय द्वारा केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है। गौरतलब है कि एक साल पहले वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत सभी काम तय समय सीमा में होने और पूरी राशि का सदुपयोग होने की वजह से केन्द्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन स्वरुप विभाग को 19 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि दी थी।
निर्माण का जिम्मा अब प्रदेश पर
केन्द्र द्वारा पुलिस विभाग के निर्माण कार्यों के लिए राशि देना बंद किए जाने के बाद यह जिम्मा प्रदेश सरकार पर आ गया है। इस वजह से अब राज्य सरकार द्वारा पुलिस कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण, प्रशासकीय तथा अन्य भवन निर्माण के लिए राशि आंवटित की जाती है। इस वजह से राज्य सरकार द्वारा पांच साल पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना शुरू की गई है। इस योजना का जिम्मा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया है। योजना के तहत प्रदेश में हर साल पुलिस कर्मचारियों के पांच हजार आवास बनाने का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिए पहले साल जरुर करीब सात सौ करोड़ रुपए का बजट दिया गया था, लेकिन उसके बाद राशि में कटौती किए जाने से तय लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल बना हुआ है।
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