नई दिल्ली । सड़क हादसों (road accidents) में पीड़ितों के मुआवजे के मामलों के त्वरित निपटान को सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफार्म (online platform) शुरू किया जाएगा। इसमें पीड़ितों, पंचाटों, पुलिस और बीमा कंपनियों को एकसाथ जोड़ा जाएगा। देश की सभी 26 बीमा कंपनियों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के विचार पर सहमति व्यक्त की है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश के बाद केंद्र सरकार एक ऑनलाइन एप विकसित करने की प्रक्रिया में है जहां सड़क हादसों के शिकार हुए लोग अपने दावे दर्ज करा सकेंगे। जबकि पुलिस, दुर्घटना की रिपोर्ट अपलोड कर सकती है। बीमा कंपनियों को इस प्लेटफॉर्म पर दावा याचिकाओं और दुर्घटना की रिपोर्ट का जवाब देना होगा।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) जयंत सूद ने कहा, सार्वजनिक और निजी बीमा कंपनियां ने इसके लिए हामी भर दी है।
एएसजी ने इसे बेहद सकारात्मक कदम बताया। सरकार इस एप को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि वाहन दुर्घटना के मामलों में सभी अथॉरिटी द्वारा मुआवजे के मामले को जल्द निपटारा किया जा सके।
साथ ही अथॉरिटी की जवाबदेही भी तय की जा सके। पीठ ने ने एप को विकसित करने को लेकर जारी कवायद पर संतोष व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को इसे तैयार करने के लिए दो महीने का और समय दे दिया।
15 साल बाद मिली आर्थिक मदद किस काम की
शीर्ष अदालत ने दुख जताया था कि मोटर दुर्घटना के मामले कई वर्षों तक लंबित रहते हैं जबकि पीड़ित परिवार को तुरंत वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। अदालत का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति को 10 या 15 बर्ष बाद 10 लाख रुपये मिले तो उसका क्या फायदा। जब उसे रकम की सख्त जरूरत थी तब उसे नहीं मिले तो उसका मतलब नहीं रह जाता।
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