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केंद्र सरकार ‘हम दो हमारे दो’ की तर्ज पर चहेते उद्योगपतियों को बेच रही राष्ट्रीय संपत्ति : अजय माकन

September 04, 2021

रायपुर। एआईसीसी के महासचिव एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन (AICC General Secretary and former Union Minister Ajay Maken) ने शुक्रवार को कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में पत्रकारवार्ता कर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय संपत्तियों को मोदी सरकार बेच रही है। देश के सार्वजनिक उपक्रमों को मोदी सरकार ‘हम दो हमारे दो’के तर्ज पर अपने चहेते उद्योगपतियों को बेचती जा रही है। बताते चलें कि आज एआईसीसी के महासचिव अजय माकन अपने दो दिवसीय प्रवास पर राजधानी रायपुर पहुंचे हैं।

माकन ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार के जनविरोधी योजनाओं के चलते देश में रोजगार लगभग खत्म हो जाएगा। सरकार की योजनाएं धरातल से कोसों दूर है। मोदी सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बिना तर्क की कसौटी में कसे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचती जा रही है। उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली से सिर्फ यहां इसीलिए आया हूँ ताकि जनता जान सके सच क्या है और कैसे केंद्र जनता को लूट रही है। हम मोनोपल्ली डिस्ट्रॉय करने पर काम करते थे और मोदी सरकार इसे बढ़ावा दे रही है। सरकार एक-एक कर उपक्रमों को बेचते जा रही है।


मोदी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर 700 एकड़ जमीन सरकार बेच रही है, उसकी भरपाई और उसके बदले फायदा कैसे होगा यह बताए सरकार? सरकार सिर्फ और सिर्फ नुकसान में है जिसका खामियाजा सिर्फ और सिर्फ जनता को भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है और हम जनता की आवाज सत्ता के नशे में चूर लोगों के कानों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं। हम लगातार आंदोलन करेंगे और हमारा आंदोलन जारी रहेगा। मोदी सरकार का कोई भी फैसला देश और देशवासियों के हित में नहीं है। 60 साल के लिए जिन चीजों को किराये पर दिया जा रहा है उसका हिसाब जोड़-तोड़ के जनता को बताया जा रहा है।

सरकारें सार्वजनिक उपक्रमों को तभी बेचती है जब वे उपक्रम घाटे में चल रही होती है न कि मुनाफे कमाने वाली उपक्रमों को बेचती है। प्रॉफिट मेकिंग सेक्टर प्राइवेट हाथों में चले जाने से केंद्र सरकार का मुनाफा सीधा-सीधा कम हो जाएगा। साथ ही सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। जिसकी भरपाई सरकार जनता से करेगी। रेलवे की जिन संपत्तियों, रेलवे स्टेशनों और रेलवे लाइनों को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत चिन्हित किया गया है। वह हमेशा से बेहतर और फायदे का सौदा वाली परिसंपत्तियां रही हैं। एक बार निजीकरण हो जाने के बाद लाभ कमाने वाले सभी रूट निजी क्षेत्र को सौंप दिए जाएंगे, जबकि घाटे में चलने वाले रूट और छोटे स्टेशन को सरकार चलाएगी। जहां पर सरकार पैसे की कमी का हवाला देते हुए उदासीन बनी रहेगी।

कैग और संसदीय समीक्षा का रास्ता बंद
माकन ने बताया कि सरकार ने इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट या अन्य विशेष कंपनी एसपीवी के सृजन की बात की है। क्या इनका ऑडिट कैग कर पाएगी। इसका उत्तर है, ‘नहीं’. 2007 से ही कैग के लिए यह मुश्किल बना हुआ है कि वह सार्वजनिक निजी भागीदारी या पीपीपी प्रोजेक्ट की समीक्षा कर पाए। लेकिन नई विशेष कंपनियां, जो सेबी रजिस्टर्ड, इनवीट या रीट है, वह कैग के दायरे से बाहर ही बनी रहेंगी जिससे उनकी समीक्षा कभी संभव ही नहीं हो पाएगी।

इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस संचार के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवागन, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी महामंत्री चन्द्रशेखर शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष संचार विभाग के सदस्य , प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता एवं प्रदेश के प्रवक्ता उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

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