रांची । झारखंड मुक्ति मोर्चा के अनुसार (According to Jharkhand Mukti Morcha), केंद्र सरकार (Central Government) ‘इंडिया’ गठबंधन की एकता (Unity of ‘India’ Alliance) से डरती है (Is Afraid of) और विशेष संसद सत्र के बहाने (On the Pretext of Parliament Session) सीक्रेट “राजनीतिक एजेंडा” (Secret “Political Agenda”) आगे बढ़ाना चाहती है (Want to Move Forward) । जेएमएम उन पार्टियों में से एक है जो शुरू से ही इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में सक्रिय रही है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने पिछले साल दो बार विशेष विधानसभा सत्र बुलाया था, लेकिन पार्टी ने 18 से 22 सितंबर तक भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष संसद सत्र पर कड़ी आपत्ति जताई है।
जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति के सक्रिय सदस्य भी हैं। उन्होंने विपक्षी गठबंधन की अब तक हुई सभी बैठकों में हिस्सा लिया है। उनके राजनीतिक रुख से साफ है कि संसद के विशेष सत्र को लेकर इंडिया ब्लॉक का जो भी साझा एजेंडा होगा, जेएमएम उसी के अनुरूप काम करेगा। झारखंड में गठबंधन सरकार का नेतृत्व भले ही जेएमएम कर रहा हो, लेकिन संसद में संख्या बल के लिहाज से उसका प्रतिनिधित्व उतना नहीं है। लोकसभा में पार्टी के केवल एक सांसद हैं- विजय हांसदा, जो झारखंड में राजमहल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राज्यसभा में जेएमएम के दो सांसद हैं- शिबू सोरेन और महुआ मांझी। शिबू सोरेन इन दिनों अस्वस्थ हैं और पार्टी अध्यक्ष होने के बावजूद संसद की बैठकों में उनकी उपस्थिति अक्सर नगण्य रहती है। महुआ मांझी की पहचान प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार के रूप में रही है। पिछले साल पहली बार संसद पहुंचने के बाद से वह कई बार सदन की चर्चाओं में हिस्सा ले चुकी हैं। उनका कहना है कि विशेष सत्र बुलाने के पीछे का तर्क स्पष्ट नहीं है।
जेएमएम के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों की एकता से घबराए हुए हैं, जो कि इंडिया ब्लॉक की बैठकों से स्पष्ट है। यही कारण है कि उन्होंने (मोदी) पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है।” भट्टाचार्य ने कहा कि विशेष सत्र आयोजित करने से पहले विपक्षी दलों को एक औपचारिक पत्र जारी किया जाता है, लेकिन इस बार उन्हें इसकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली।
उन्होंने कहा, “क्या इस देश की विधायिका फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर जारी सूचनाओं से संचालित होगी? सरकार को ऐसे किसी भी फैसले की उचित सूचना देनी चाहिए। सत्र के एजेंडे की जानकारी भी देश की जनता को स्पष्ट रूप से देनी चाहिए ताकि विपक्षी दल भी पूरी तैयारी के साथ सत्र में भाग ले सकें। अभी तक यही लग रहा है कि इस सत्र को बुलाने के पीछे केंद्र का कोई छिपा हुआ एजेंडा है।” भट्टाचार्य ने आगे कहा, ”देश के किस हिस्से में ऐसी आपदा आ गई कि संसद का विशेष सत्र बुलाना पड़ा? मणिपुर पिछले चार महीने से जल रहा है लेकिन सरकार ने विशेष सत्र नहीं बुलाया। सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देने से भाग रही है।”
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