नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central Government) ने लोकसभा में (In Lok Sabha) वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) पेश किया (Introduced) । केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन से जुड़े दोनों बिल सदन में पेश किए। उन्होंने इस बिल को जेपीसी को भेजने की सिफारिश भी की ।
वक्फ बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों को कम कर इसकी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और इसमें मुस्लिम महिलाओं समेत मुस्लिम समाज के अन्य पिछड़े वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा और आगाखानी जैसे वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में इन विधेयकों को पेश किया गया। आपको बता दें कि, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ (संशोधन ) विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 लोकसभा में पेश किया। लोकसभा की कार्यसूची के अनुसार, गुरुवार को केंद्रीय उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व देने वाले विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव भी सदन में रखेंगे। पहले बिल के जरिए वक्फ कानून 1955 में महत्वपूर्ण संशोधन लाए जाएंगे वहीं दूसरे बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा नाम पुकारे जाने पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू जब सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024’ को पेश करने के लिए खड़े हुए तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष विरोध में सदन में खड़े हो गए। विपक्षी दलों की तरफ से बोलते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल एवं इमरान मसूद, सपा से अखिलेश यादव एवं मोहिब्बुल्लाह, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी (शरद पवार) से सुप्रिया सुले और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी के अलावा डीएमके, आईयूएमएल, सीपीआई, सीपीआई (एम), आरएसपी, वीसीके सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इसे संविधान और मुसलमान विरोधी बताते हुए इसे पेश करने का विरोध किया।
वहीं, एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने सरकार का साथ देते हुए इस बिल का समर्थन किया। जेडीयू की तरफ से बोलते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि निरंकुश संस्था में पारदर्शिता लाना सरकार का काम है। यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। विपक्ष को मंदिर या संस्था में अंतर नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने 1984 के सिख दंगों के लिए कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। वहीं, सरकार की एक अन्य सहयोगी पार्टी टीडीपी की तरफ से बोलते हुए जीएम. हरीश बालयोगी ने भी बिल का समर्थन किया। बालयोगी ने कहा कि वक्फ बोर्ड में सुधार कर पारदर्शी व्यवस्था लाना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने बिल का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि अगर इस बिल को किसी कमेटी में भेजा जाता है तो टीडीपी को कोई दिक्कत नहीं होगी।
सरकार की तरफ से जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में विरोधी दलों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024’ से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इस सदन और सरकार को बिल लाने का अधिकार है और इससे संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल के जरिए किसी का भी कोई अधिकार नहीं छीना जा रहा है, बल्कि यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले। किरेन रिजिजू ने अपने भाषण में विस्तार से इस बिल की जरूरत बताते हुए कहा कि इसमें मुस्लिम महिलाओं समेत मुस्लिम समाज के अन्य पिछड़े वर्ग, बोहरा और आगाखानी जैसे वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। वक्फ बोर्ड की आमदनी को मुस्लिम वर्गों की भलाई, मुस्लिम महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिए ही खर्च किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार 2015 से वक्फ कानून में संशोधन लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर लाखों लोगों से विचार-विमर्श कर चुकी है। उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में गठित सच्चर कमेटी और जेपीसी की सिफारिशों का जिक्र करते हुए कहा कि वे तो कांग्रेस सरकार के अधूरे कामों को ही पूरा कर रहे हैं। कांग्रेस जो काम करना चाहती थी, लेकिन नहीं कर पाई, उसे पूरा करने के लिए मोदी सरकार यह बिल लेकर आई है। अपने भाषण के अंत में केंद्रीय मंत्री ने इस बिल को जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव रखा। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वे इस बिल को लेकर जेपीसी बनाने का काम करेंगे। इसके बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ कानूनों से जुड़े दूसरे विधेयक ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024’ को सदन में पेश किया। विपक्षी दलों ने इसका भी विरोध किया।
इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में खड़े होकर कहा कि आजादी के बाद वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन होने के बाद ‘मुसलमान वक्फ कानून-1923’ का अस्तित्व अपने आप ही समाप्त हो गया था। लेकिन, इसे कागजों से नहीं हटाया गया। शाह ने कहा कि यह बिल (मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024) 1923 में बने (मुसलमान वक्फ कानून-1923) कानून को सिर्फ कागजों से हटाने के लिए लाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है। ध्वनिमत से यह विधेयक भी सदन में पेश हो गया।
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