नई दिल्ली । ऊंची कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने बृहस्पतिवार को प्याज आयात के नियमों में ढील की समय-सीमा को डेढ़ महीने बढ़ाकर 31 जनवरी, 2021 कर दिया है। इससे कीमतों पर काबू पाने के साथ प्याज की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार ने 21 अक्तूबर को प्याज आयात के कुछ प्रावधानों में छूट देने की घोषणा की थी, जो 15 दिसंबर तक के लिए थी।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों को लेकर आम लोगों में चिंता है। इसे देखते हुए आयात नियमों में दी गई ढील को 31 जनवरी, 2021 तक बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है। भारत आने वाली खेप की जांच की जाएगी और कीटमुक्त होने पर ही बाजार में बेचने की अनुमति होगी। जांच में खामी पाए जाने पर खेप वापस भेज दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि शर्तों के तहत आयातकों से यह शपथपत्र भी लिया जाएगा कि आयातित प्याज सिर्फ उपभोग के लिए है। इसे स्टोर नहीं किया जाएगा। उपभोग के लिए प्याज की खेप पर पीक्यू (प्लांट क्वारंटीन) आदेश-2003 के तहत आयात की शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर चार गुना अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क नहीं लगाया जाता है।
इसलिए सरकार ने दी थी छूट
उधर, बाजार में नई फसल पहुंचने के साथ देश के कुछ हिस्सों में प्याज की कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम के नीचे आ गई है। इससे पहले अक्तूबर में प्याज की कीमतें 65-70 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई थी। इसके बाद सरकार ने आयात नियमों में छूट देने की घोषणा की थी।
चीनी उत्पादन 61 फीसदी बढ़कर 73.77 लाख टन
देश में चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2020-21 में 15 दिसंबर तक 61 फीसदी बढ़कर 73.77 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया। इसका प्रमुख कारण महाराष्ट्र में मिलों के जल्द शुरू होना और अत्यधिक गन्ना उत्पादन है। पिछले साल की समान अवधि में चीनी उत्पादन 45.81 लाख टन रहा था। उद्योग निकाय इस्मा के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा विपणन वर्ष में उत्तर प्रदेश में उत्पादन 21.25 लाख टन से बढ़कर 22.60 लाख टन रहा। इस दौरान महाराष्ट्र में 26.96 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल महज 7.66 लाख टन रहा था। वहीं, कर्नाटक में उत्पादन का आंकड़ा 16.65 लाख टन रहा। बाजार सूत्रों के मुताबिक, सिदौरान 2.5-3 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved