नई दिल्ली । लगातार बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने खाने वाले तेल (Edible Oils) की कीमतों (prices) को काबू में रखने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन-डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (CBIC) ने खाने वाले तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी (custom duty) में छूट को जारी रखने का निर्णय लिया है. त्योहारी सीजन में देश में खाने वाले तेल की खपत बढ़ जाती है. ऐसे में अगर इस दौरान तेल की कीमतों में इजाफा होता, तो जाहिर है आम लोगों को बड़ा झटका लगता. खाद्य मंत्रालय (Food Ministry) ने रविवार को अपनी कहा कि निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर रियायती आयात शुल्क मार्च 2023 तक लागू रहेगा.
6 महीने के लिए बढ़ी समय सीमा
खाद्य मंत्रालय के बयान का हवाला देते हुए पीटीआई ने कहा कि खाने वाले तेल के आयात पर रियायती सीमा शुल्क को और 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. इस तरह अब नई समय सीमा मार्च 2023 होगी. मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण घरेलू मार्केट में खाने वाले तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा है. ग्लोबल मार्केट में गिरती कीमतें और कम आयात शुल्क की वजह से भारत में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में काफी गिरावट आई है.
पाम ऑयल पर कितना टैक्स?
पाम ऑयल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है. हालांकि, 5 फीसदी कृषि सेस, 10 फीसदी सोशल वेलफेयर सेस लगता है. सेस टैक्स को ध्यान में रखते हुए इन तीनों तेल की कच्ची किस्मों 5.5 प्रतिशत है शुल्क प्रभावी है. इसके अलावा पामोलिन और रिफाइंड पाम तेल की अलग-अलग किस्मों पर बेसिक सीमा शुल्क 12.5 फीसदी है. सरकार ने खाने वाले तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए कई बार पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती की है.
पाम ऑयल का बड़ा आयातक है भारत
भारत अपने खाना पकाने के तेल का दो-तिहाई हिस्सा आयात करता है. हाल के महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध और इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की वजह से खाने वाले तेल की कीमतों में इजाफा हुआ था. हालांकि, कुछ महीना पहले इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर से प्रतिबंध हटा दिया था. इस वजह से वैश्विक बाजार में पॉम ऑयल की कीमतों में गिरावट आई. भारत इंडोनेशिया से सालाना करीब 80 लाख टन पाम ऑयल खरीदता है.
भारत में महंगाई दर
भारत में फिलहाल महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय लक्ष्य से अधिक है. अगस्त के महीने में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी रही थी. सितंबर महीने के आंकड़े अभी आने हैं. इससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई थी और यह 6.71 फीसदी पर आ गई थी. सरकार ने महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद ये ऊपर बनी हुई है.
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