– आर.के. सिन्हा
केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जब देश का आगामी 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी तो उनकी मंशा यही रहेगी कि देश के सभी वर्गों के हितों के लिए कुछ न कुछ किया जा सके। पिछले साल तो सारी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ती रही। भारत का भी शायद ही कोई शख्स ऐसा बचा हो जो इससे प्रभावित न हुआ हो। इस आलोक में सबकी उम्मीदें वित्तमंत्री से बहुत बढ़ गई हैं। सरकार कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ-साथ सैन्य क्षेत्र, नौकरीपेशा, छोटे उद्यमियों के हितों की भी चिंता अवश्य करेगी, जिनको सरकारी राहत की उम्मीद है।
खेत और खेती को मिलेगी सौगात
अगर बात खेत और किसान की करें तो आगामी बजट में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए स्वदेशी कृषि अनुसंधान, तिलहन उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती के लिए अतिरिक्त धनराशि और प्रोत्साहन मिल सकता है। प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (डीबीटी) योजना का इस्तेमाल किसानों को सब्सिडी देने की जगह अधिक लाभकारी समर्थन देने के लिए भी हो सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने किसान के लिए बेहतर कीमत पाने और बिचौलियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बजट में खाद्य प्रसंस्करण के लिए ब्याज प्रोत्साहन, करों में कटौती, प्रौद्योगिकी का सार्थक उपयोग और विशेष प्रोत्साहन मिलना अर्थशास्त्रियों द्वारा तय-सा माना जा रहा है। आगामी बजट में यह अपेक्षा रहेगी उन भारतीय स्टार्टअप को राहत मिले जिन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश किया है। इसके साथ ही सरकार की किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिये कुछ ठोस योजनायें लाने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में शीतगृहों के निर्माण और भंडारण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निवेश की जरूरत को ध्यान रखा जायेगा। मान कर चलिए कि आगामी बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए चौबीस घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराने पर जोर रहेगा। इसके लिए वित्तमंत्री बजट में किसानों के लिये कई नई योजनाओं का ऐलान भी कर सकती हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी के बावजूद वित्तमंत्री किसानों की आय में वृद्धि के लिए नई सौर ऊर्जा योजना की भी घोषणा कर सकती हैं।
वित्तमंत्री आम बजट पेश करते हुए नई उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम अश्योंरेंस) योजना का ऐलान कर सकती है। ताकि चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। अभी बड़े शहरों में 23-24 घंटे बिजली मिल रही है, जबकि छोटे शहरों में यह 22 और गांव में 18-20 घंटे के करीब ही है।
इंसाफ होगा रक्षा क्षेत्र के साथ
एक बात तय है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण रक्षा क्षेत्र को लेकर अवश्य उदार रवैया अपनाएंगी। उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट में 3,37,553 करोड़ रुपये रक्षा के लिए (रक्षा पेंशन को छोड़कर) आवंटित किये थे। 2020-21 के बजट में, रक्षा पेंशन के लिए 1,33,825 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि का प्रावधान किया गया था। वित्त वर्ष 2020-21 के रक्षा पेंशन सहित कुल रक्षा आवंटन (4,71,378 करोड़ रुपये) में 40,367.21 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई थी। वर्ष 2020-21 का कुल रक्षा बजट, केंद्र सरकार के कुल खर्च का 15.49 प्रतिशत था। चूंकि भारत को अपने दो धूर्त पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान से मजबूती से मुकाबला करना है, इसलिए रक्षा क्षेत्र की तो किसी हालत में अनदेखी नहीं हो सकती है। भारत को अपने रक्षा क्षेत्र पर लगातार फोकस करना होगा। भले ही हम अपने रक्षा बजट को बढ़ा रहे हों पर दुनिया को कोरोना देने वाले चीन के मुकाबले हमारा रक्षा बजट लगभग एक तिहाई से भी कम है। अमेरिका भी अपनी जीडीपी का 4 फीसदी, रूस 4.5, इजराइल 5.2, चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 फीसदी रक्षा बजट के लिए आवंटित करता है।
कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को इस बजट से खासा उम्मीदें हैं, तो सरकार का भी लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बजट से फायदा पहुंचे। आम बजट के जरिए टैक्स में मिडिल क्लास को छूट दी जा सकती है। इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना के कारण नौकरीपेशा लोगों को कठोर समय से गुजरना पड़ा है। इस दौरान लाखों लोगों की नौकरी या तो चली गई या उन्हें कम पगार पर काम करने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है I आपको याद होगा कि 2019-20 के आम बजट में भी सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फार्म का विकल्प लोगों को दिया था इसके जरिए टैक्स भरना पहले से सरल हुआ था। जबकि 2020-21 में कुछ शर्तों के साथ नए टैक्स स्लैब की शुरुआत हुई थी। इसबार के बजट में एकबार फिर सरकार मिडिल क्लास परिवारों को कुछ छूट दे सकती है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण तेज आर्थिक वृद्धि और खर्चों को तर्कसंगत बनाने के लिए बजट में कुछ बड़े प्रस्ताव ला सकती हैं। केन्द्रीय बजट को लेकर आशा की जा रही है कि सकारात्मक बजट प्रस्तावों से करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाले रीयल एस्टेट सेक्टर के दिन तेजी से सुधर सकते हैं। निर्मला जी अपने बजट प्रस्तावों में रीयल एस्टेट सेक्टर के लिए जरूर कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आयेंगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है। रीयल एस्टेट सेक्टर के मसलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि कृषि के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र ही सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है।
हरेक बजट के पहले अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर की बात होने ही लगती है। सबका अपना मकान हो यह प्रधानमंत्री मोदी जी का वायदा भी है। सरकार देश में हरेक हिन्दुस्तानी के छत के सपने को साकार करने के लिए निजी बिल्डरों के साथ मिलकर सस्ते घर भी उपलब्ध कराने की कोई योजना ला सकती है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि सरकार प्रमुख शहरों में या उससे सटे शहरों में सस्ती जमीन की व्यवस्था करे। इससे अधिक से अधिक लोग अपना घर बनाने के संबंध में सोचने लगेंगे। वित्तमंत्री को यह भी कोशिश करनी होगी कि रीयल एस्टेट सेक्टर में बुजुर्गों के हित सुरक्षित रहें। वित्तमंत्री देश के करोड़ों बुजुर्गों और विकलांगों के मनमाफिक घर के सपने को पूरा करने की दिशा में भी कोई बड़ी पहल कर सकती हैं। वे रीयल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी उन कंपनियों को टैक्स में छूट या अन्य तरीकों से प्रोत्साहित करेंगी अपने बजट प्रस्तावों में ताकि सरकार की मंशा जाहिर हो कि वह बुजुर्गों तथा विकलांगों के मन के घर बनाने में मदद करना चाहती है।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)
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