भोपाल । किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री (cm) स्वयं किसान का जीवन बिताकर बड़ा हुआ हो और फिर वह राजनीतिक (political)जीवन में आकर मुख्यमंत्री पद तक पहुंच जाए तो उसका असर कैसा हो सकता है, यह इन दिनों मध्य प्रदेश आकर भलिभांति देखा जा सकता है। एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार है तो दूसरी ओर प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj government of the state) दोनों ही इन दिनों पूरी शिद्दत के साथ किसानों के हक में खड़ी नजर आ रही हैं, जिसमें कि केंद्रीय मंत्री कृषि के मध्य प्रदेश से होने के कारण यह लाभ किसानों के लिए कई गुना बढ़ गया है, क्योंकि वे स्वयं प्रदेश के किसानों के लिए लगातार अच्छे निर्णय ले रहे हैं। [RELPOST]
बड़ी संख्या में हो रहा फूड पार्क, कोल्ड-स्टोरेज, साइलो, वेयर-हाउसों का निर्माण
भारत सरकार द्वारा निर्मित किये गये एग्रीकल्चर इन्फ्रा-स्ट्रक्चर फण्ड योजना के अंतर्गत ऋण प्रदाय किये जा रहे हैं। नवीन फूड प्रोसेसिंग ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) गठित किये जा रहे हैं। मण्डियों को आधुनिक बनाया जा रहा है। फूड पार्क, कोल्ड-स्टोरेज, साइलो, वेयर-हाउसों का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश में एक जिला-एक फसल योजना लागू की और किसानों को बेहतर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इतना ही नहीं तो आज बासमती चावल, शरबती गेहूँ, होशंगाबाद जिले की तुअर दाल आदि को एपीडा के माध्यम से जीआई टैग दिलाने की कार्यवाही की जा रही है।
गेहूं के उपार्जन में पंजाब से आगे निकला राज्य
सरकार ने कोरोना की विपत्ति के बाद भी रिकॉर्ड गेहूँ का उपार्जन कर पंजाब को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान हासिल किया। चना और सरसों के उपार्जन की मात्रा 20-20 क्विंटल नियत की गयी। एक दिन में समर्थन मूल्य पर उपार्जन की अधिकतम सीमा 25 क्विंटल को समाप्त किया गया। मण्डियों के बाहर किसानों के घर से सौदा-पत्रक के आधार पर खरीदी करना सुनिश्चित किया गया। यह कहते हैं प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल।
फसल बीमा कवरेज के लिये स्केल ऑफ फाइनेंस 100 प्रतिशत किया गया
कृषि मंत्री पटेल जब अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाने की शुरूआत करते हैं तो जैसे लगता है कि विकास के कार्य बहुत गहरे हर छोर पर किए जा रहे हैं। प्रदेश का हर कृषक इनसे लाभान्वित हो, इसके लिए सरकार अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। वे कहते हैं कि सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक तौल-काँटे से तुलाई होने पर हम्माल-तुलावटी की राशि वसूलना बंद कराना सुनिश्चित कराया गया। फसल बीमा कवरेज के लिये स्केल ऑफ फाइनेंस को 75 प्रतिशत के स्थान पर 100 प्रतिशत किया गया। वन ग्रामों के किसानों को बीमा योजना में शामिल करने के लिये राजस्व ग्रामों में शामिल कराया। कृषि आदान के लाइसेंस की तिथियाँ बढ़ाई गईं। फसलों के उपचार के लिये कृषि ओपीडी प्रारंभ की गईं।
कम्बाइन हॉर्वेस्टर पर 10 प्रतिशत रोड टैक्स को घटाकर एक प्रतिशत किया गया
कमल पटेल कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार की प्रेरणा के चलते प्रदेश में इस समय कम्बाइन हॉर्वेस्टर पर लगने वाले 10 प्रतिशत रोड टैक्स को घटाकर मात्र एक प्रतिशत कर दिया गया है। पहली बार गेहूँ उपार्जन के साथ ही किसानों के हित में चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन का ऐतिहासिक निर्णय लिया। किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिये ‘किसानों का सच्चा साथी-कमल सुविधा केन्द्र’ खुलवाकर 3500 समस्याओं का निराकरण किया। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदीजी भी कई बार यह कह चुके हैं कि मध्यप्रदेश सरकार पूरी तरह से किसानों को समर्पित है तथा यहाँ किसानों की भलाई के लिए निरंतर कार्य हो रहे हैं। आज प्रदेश के किसान खातों में फसल नुकसानी की राशि सीधे उनके खातों में हस्तांरित की जा रही है, कोई बिचौलिए नहीं, कोई कमीशन नहीं।
सरकार का जोर हर कृषक के पास हो ‘किसान क्रेडिट कार्ड’
पटेल बताते हैं कि प्रदेश की सरकार का फोकस यह भी है कि कैसे हम अपने किसानों को आधुनिक बना सकते हैं और बैंक के स्तर पर उसे अधिकतम सहयोग प्रदान कर सकते हैं। किसानों को खेती से जुड़े कार्यों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड दिलाए जा रहे हैं, जिससे उन्हें कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हो रहा है। किसान हितैषी सरकार ने मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना प्रारंभ कर किसानों के खाते में कई करोड़ रुपये की राशि अंतरित की है । योजना के तहत आगामी वित्तीय वर्ष के लिये तीन हजार 200 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है, जिसका लाभ 80 लाख किसानों को मिलेगा।
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एग्रीकल्चर इन्फ्रा-स्ट्रक्चर फण्ड योजना में प्रदेश प्रथम स्थान पर
पटेल बताते हैं कि एग्रीकल्चर इन्फ्रा-स्ट्रक्चर फण्ड योजना में 138 किसानों को 72 करोड़ 35 लाख रुपये का ऋण वितरित कर योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। देश के ग्रामवासियों को वास्तविक आजादी का अहसास दिलाने वाली प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का लाभ देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश के हरदा निवासी रामभरोस विश्वकर्मा को दिलाकर हम सभी गौरवान्वित हुए थे, उसके बाद से अब तक हजारों किसानों को यहां इस योजना का लाभ दिलाया जा चुका है । सरकार ने इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 44 लाख 53 हजार 606 किसानों का बीमा कराया है।
सही मायनों में देखा जाए तो आज शिवराज सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत अभियान के सपने को पूरा करने के लिये आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने की ओर अग्रसर है। यहां किसान को आत्म-निर्भर बनाने के लिये सरकार द्वारा सभी संभव प्रयास किये जा रहे हैं। जिस तरह से केंद्र और राज्य की सरकार एक स्वर में किसान हितों को आगे रख आगे बढ़ रहीं है, उसे देखना इतना जरूर कहा जा सकता है कि खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है । जैसा कि इन दिनों कोरोना काल के संकट के समय भी विकसित किसान के रूप में कई लोग सामने आए हैं।