नई दिल्ली। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) का काम लगातर जारी है। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट से प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने विपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब सरकार कांग्रेस के सभी आरोपों का दस्तावेज़ों के साथ जवाब दे रही है।
रविवार को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की तरफ से प्रोजेक्ट को लेकर सिलसिलेवार तरीके से हर सवाल का जवाब दिया गया। इसको लेकर सरकार की तरफ से एक डॉक्यूमेंट जारी किया गया है। विपक्ष को निशाने पर लेते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना को लेकर एक गलत विमर्श गढ़ा जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह ‘व्यर्थ परियोजना’ नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है।
विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस साल कोविड -19 महामारी के दौरान परियोजना पर 20,000 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि पुनर्विकास योजना की परिकल्पना 2019 में की गई थी, महामारी के फैलने से कई महीने पहले। सरकार ने कहा है कि ये प्रोजेक्ट छह साल में पूरे होंगे और इस पर अब तक का अनुमानित खर्चा 20,000 करोड़ रुपये का है।
केंद्रीय मंत्री की ओर से कहा गया कि नए संसद भवन की लागत 862 करोड़ रुपये है और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू की लागत करीब 477 करोड़ रुपये है। यानी कुल मिलाकर ये लागत 1300 करोड़ रुपये की है। अब तक मार्च 2021 तक 195 करोड़ का खर्चा आया है। सरकार की ओर से बजट में 137 % की बढ़ोतरी की गई। वहीं कोरोना वैक्सीनेशन के लिए अलग से 35000 करोड़ रुपये दिए गए।
पुरी ने कहा कि 2012 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के विशेष कार्य अधिकारी ने नए संसद भवन के लिए केंद्रीय शहरी विकास सचिव को पत्र लिखा था और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी नए भवन की पैरवी की थी। पुरी ने कहा कि 2012 में कहा गया था कि नए संसद भवन की जरूरत है लेकिन 2021 में ये 60 पूर्व नौकरशाह कह रहे हैं कि सरकार ‘अंधविश्वास के चलते’ नया भवन बना रही है।
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