नई दिल्ली । ब्रिटेन (Britain) में मिले कोरोना वायरस (corona virus) के नए स्ट्रेन को लेकर भारत में अभी उपचार और जांच की प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत नहीं है। नए स्ट्रेन से जुड़े हालातों को लेकर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की बैठक हुई जिसमें फैसला लिया है कि हर राज्य से कम से कम पांच फीसदी सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग (genome sequencing) होगी।
बैठक में बताया गया कि 21 से लेकर 23 दिसंबर तक ब्रिटेन से आए यात्रियों में से करीब 50 कोरोना संक्रमित मिले हैं जिनके जीनोम सिक्वेंसिंग की प्रक्रिया अभी चल रही है। अभी तक भारत में नए स्ट्रेन की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन की ओर से पिछले 28 दिन में भारत आए सभी यात्रियों की सूची राज्यों को उपलब्ध करा दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को दी सिफारिशों में फोर्स ने साफ कहा है कि नए स्ट्रेन की पहचान कर पाना देश के लिए काफी मुश्किल है। ऐसे में जरूरी है कि सभी राज्य पूरी एहतियात बरतें। निगरानी में किसी प्रकार की चूक होने पर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
बैठक में मौजूज विशेषज्ञों का कहना है कि नए स्ट्रेन का असर अब तक पता नहीं चला है। ऐसे में जांच, उपचार और टीका को लेकर कोई बदलाव की आशंका का सवाल ही नहीं होता। जब तक वैज्ञानिक तौर पर इसके असर की पुष्टि नहीं हो जाती है तब तक किसी भी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता नहीं है। देश की छह लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग हो रही है।
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