नई दिल्ली। वेदांता समूह की कर्ज घटाने की योजनाओं को बड़ा झटका लगा है। कर्ज घटाने के लिए समूह अपनी जिंक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बेचने की तैयारी में है। उधर, भारत सरकार का कहना है कि वह इस बिक्री का विरोध करेगी।
वेदांता समूह, टीएचएल को अपनी सहयोगी कंपनी हिंदुस्तान जिंक को 2.98 अरब डॉलर में बेचना चाहता है। यह सौदा 18 माह के दौरान कई चरणों में पूरा होना था। सरकार ने वेदांता को इस यूनिट को बेचने से रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।
हिंदुस्तान जिंक में सरकार की 30 फीसदी हिस्सेदारी है। वेदांता के पास 64.92 फीसदी हिस्सा है। हिंदुस्तान जिंक ने सरकार के उस पत्र की एक कापी स्टॉक एक्सचेंज को दी है, जिसमें सरकार ने कहा है कि अगर कंपनी इस सौदे पर आगे बढ़ती है तो वह सभी कानूनी रास्ते तलाशेगी।
2002 तक थी सरकारी कंपनी
हिंदुस्तान जिंक 2002 तक सरकारी कंपनी थी। अप्रैल, 2002 में सरकार ने इसमें 26 फीसदी हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. को 445 करोड़ रुपये में बेची थी। इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था।
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