नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (central government) ने झारखंड के गिरिडीह जिले में जैन तीर्थ स्थल (Jain pilgrimage site) ‘सम्मेद शिखरजी पर्वत’ (‘Sammed Shikharji Parvat’) क्षेत्र में पर्यटन और इको पर्यटन (tourism and eco tourism) से जुड़ी सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार से इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है। पर्यावण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने गुरुवार को जैन समुदाय के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद यह निर्णय लिया।
किस आधार पर घोषित होता है इको सेंसेटिव जोन
वैसे वन क्षेत्र जहां शहरीकरण व अन्य विकासात्मक गतिविधियां निषेध होती हैं, इको सेंसेटिव जोन कहलाता है। पर्यावरण विशेषज्ञ डा. नीतिश प्रियदर्शी बताते हैं, ऐसे क्षेत्रों में जैव विविधता जानवरों, पशु-पक्षियों, पहाड़-पत्थर, नदी-नाला पूरी तरह सुरक्षित होते हैं। यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता। इसे समाप्त करने पर पहाड़ों को तोड़ने, पेड़-पौधो को काटने का काम शुरू हो जायेगा। फिर पर्यावरण की सुरक्षा नहीं हो पाएगी।
जैन मुनि प्रमाण सागर ने आंदोलन खत्म करने को कहा
हजारीबाग के नगर गौरव गुणायतण के प्रणेता मुनि प्रमाण सागर ने श्रीसम्मेद शिखर जी को पर्यटन केंद्र बनाने की योजना को वापस लिए जाने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने पारसनाथ से भेजे वीडियो संदेश में कहा है कि केंद्र सरकार ने पर्यटन केंद्र की अधिसूचना वापस ले ली है। अब सारे आंदोलन को रोक देना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पर्यटन मंत्री भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत स्थानीय प्रशासन के प्रति आभार और आशीर्वाद दिया है। उन्होंने कहा कि वे मीडिया के प्रति आभार जताते हैं। मीडिया ने भी इस मामले को लेकर माहौल बनाने में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने स्थानीय विधायक को भी आशीर्वाद दिया है।
केंद्र और राज्य सरकार के बीच हुआ पत्राचार
सीएम ने लिखा था पत्र सरकार के इस आदेश से पहले राज्य व केंद्र के बीच पत्राचार भी हुए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते दिनों केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर जैन समाज की भावनाओं को ध्यान में रख मंत्रालय की ओर से दो अगस्त 2019 को जारी अधिसूचना के संदर्भ में निर्णय लेने का आग्रह किया। एक दिन पहले केंद्र ने राज्य सरकार से अधिसूचना में संशोधन को अनुशंसा भेजने को कहा था। केंद्र के अनुसार पारसनाथ इलाके को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की अधिसूचना राज्य की अनुशंसा के आधार पर की थी।
जैन धर्म के इस तीर्थ स्थल की पवित्रता बनाए रखें
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अपने निर्देश में कहा कि राज्य सरकार जैन धर्म के इस तीर्थ स्थल की पवित्रता कायम रखने के उपाय हर हाल में सुनिश्चित करे। इसके तहत वहां नशीले पदार्थों की बिक्री और सेवन, मांसाहार पर रोक व वन्य जीवों की सुरक्षा करना शामिल है। केंद्र ने कहा, दो अगस्त 2019 को जारी इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना पार्श्वनाथ पर्वत क्षेत्र से परे एक बफर जोन की रक्षा के लिए थी। इसके खंड-3 के प्रावधानों के तहत क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाती है, जिसमें इको टूरिज्म गतिविधियां और सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियां शामिल हैं।
जैनों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल मंत्रालय की तरफ से वन महानिरीक्षक रोहित तिवारी द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि सम्मेद शिखरजी पर्वत जैन धर्म का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थल है। मंत्रालय जैन समुदाय और पूरे देश के लिए इसके महत्व को स्वीकार करता है और इसे बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।
2019 में घोषित हुआ था इको सेंसेटिव जोन
पर्वत की रक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र को 2019 में इको सेंसेटिव जोन (ईएसजेड) घोषित किया गया था। जैन समुदाय के विरोध के बाद केंद्र ने ईएसजेड अधिसूचना के एक प्रावधान पर रोक लगाते हुए वहां पर्यटन गतिविधि पर रोक लगा दी। मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा तीन के तहत इस अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी के लिए एक निगरानी समिति गठित की है। मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकार इस समिति के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थाई सदस्यों के रूप में आमंत्रित करे। ताकि अधिसूचना के प्रावधानों की निगरानी में स्थानीय समुदाय को भी शामिल किया जा सके।
इस स्थान पर 20 तीर्थंकरों को मिला था निर्वाण
सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र की सूची से निकाले जाने के बाद झारखंड सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनुरोध के बाद केंद्र ने यह कदम उठाया है। सीएम ने सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था। उसपर मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड तीन के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री ने पत्र लिख जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से दो अगस्त 2019 को जारी अधिसूचना के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सम्मेद शिखर जी जैन समुदाय का पवित्र स्थल है। इस स्थान पर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 ने निर्वाण प्राप्त किया है।
झारखंड में बीजेपी और झामुमो के बीच हुआ टकराव
गौरतलब है कि सम्मेद शिखरजी को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर इसका पर्यटन के लिहाज से विकास करने पर जैन समाज आंदोलन कर रहा था वहीं सियासी दलों में भी टकराव जारी था। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जमकर एक-दूसरे पर आरोप लगाए। झामुमो के सुप्रियो भट्टाचार्य ने जहां इसे पूर्ववर्ती रघुवर सरकार का पाप बताया तो वहीं रघुवर सरकार में पर्यटन मंत्री रहे चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी ने कहा था कि हेमंत सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। इस बीच बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने भी कहा कि सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए। बता दें कि इस मामले को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में खूब आंदोलन हुए। जैन समाज ने सड़कों पर उतर कर आंदोलन किया।
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