नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र बनाम दिल्ली सरकार (Center Vs Delhi Government) मामले में अफसरों की तैनाती और तबादले पर अधिकार को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की संविधान पीठ (constitution bench) में चौथे दिन सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने दिल्ली सरकार से कहा, ‘हमारे सामने सवाल है कि क्या दिल्ली विधानमंडल दिल्ली के लिए लोकसेवा आयोग (public service Commission) स्थापित कर सकता है। यह मानते हुए कि शक्ति नहीं दी गई है, क्या कार्यपालिका अब भी उन पर अधिकार का प्रयोग कर सकती है। क्या दिल्ली में हाईब्रिड संघवाद नहीं हो सकता?’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, संसद की शक्ति असीमित है, जहां कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है, तब संसद शक्ति का प्रयोग कर सकती है। संसद के पास हर अधिकार है। कोई केंद्र शासित प्रदेश एक सेवा स्थापित करने के लिए कानून नहीं बना सकता। देश में विधायी निर्वात नहीं हो सकता। देश में शक्ति का कहीं न कहीं अस्तित्व होना चाहिए।’
कार्यपालक नियंत्रण के दो स्तर नहीं हो सकते
पीठ के सवाल पर दिल्ली सरकार के वकील एएम सिंघवी ने कहा कि विशिष्ट निषेध कानून के अभाव में कानून बनाने से केंद्र शसित क्षेत्र को कैसे रोका जा सकता है। अदालत ऐसी स्थिति पर विचार नहीं कर रही है, जहां संसद ने दिल्ली के लिए लोकसेवा आयोग कानून पारित किया हो। कोई नहीं कह रहा है कि संसद ऐसा नहीं कर सकती। संसद ने शक्ति होते हुए भी ऐसा नहीं किया। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि दिल्ली में कार्यपालक नियंत्रण के दो स्तर नहीं हो सकते हैं।
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