नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि भारत (India) में ईसाइयों (christians) पर बढ़ते हमलों (increasing attacks) का आरोप लगाने वाली याचिका में कोई दम नहीं है। याचिकाकर्ता ने घटनाओं की गलत रिपोर्टिंग से संबंधित प्रेस रिपोर्टों के साथ-साथ झूठे और स्वार्थी दस्तावेजों का सहारा लिया गया है।
गृह मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि उसे प्राप्त इनपुट के अनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा ईसाइयों पर हमले से संबंधित जिक्र अधिकतर घटनाओं को समाचार रिपोर्टों में गलत तरीके से पेश किया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने कुछ मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट, स्वतंत्र ऑनलाइन डेटाबेस और विभिन्न गैर-लाभकारी संगठनों के निष्कर्षों जैसे स्रोतों के माध्यम से एकत्र की गई जानकारी के आधार पर दावा किया है। केंद्र ने कहा है कि पूछताछ से पता चला है कि इन रिपोर्टों में ईसाई उत्पीड़न(आरोपित) की अधिकतर घटनाएं या तो झूठी थीं या गलत तरीके से पेश की गई थीं।
कुछ मामले विशुद्ध रूप से आपराधिक प्रकृति थी और व्यक्तिगत मुद्दों से उत्पन्न होने वाली घटनाओं को ईसाइयों के खिलाफ हिंसा बताया गया है जबकि कई घटनाएं जो सच या अतिरंजित पाई गईं, जरूरी नहीं कि ईसाइयों को लक्षित हिंसा की घटनाओं से संबंधित थीं। केंद्र सरकार ने यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में दायर किया है जिसमें देश भर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हमलों की बढ़ती संख्या का आरोप लगाया गया था। याचिका में हेट क्त्रसइम पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग की गई है।
रेव पीटर मचाडो और अन्य द्वारा दायर याचिका में मांगी गई राहत में 2018 के तहसीन पूनावाला फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कार्यान्वयन शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में केंद्र और राज्यों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। शीर्ष अदालत ने ऐसे अपराधों पर ध्यान देने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति, फास्ट-ट्रैक ट्रायल, मुआवजा, निवारक सजा और कानूनी कार्रवाई में ढीला रवैया दिखाने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई आदि दिशानिर्देश जारी किए थे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ के समक्ष मंगलवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गृह मंत्रालय ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने प्रत्युत्तर दाखिल करने के दाखिल करने के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा उन्हें अभी-अभी केंद्र का जवाब प्राप्त हुआ है। इसके बाद पीठ ने सुनवाई की तारीख 25 अगस्त तय कर दी।
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