नई दिल्ली (New Delhi)। असम नागरिकता कानून मामले (assam citizenship law cases) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ (constitution bench) के सामने सरकार ने आंकड़ों वाला हलफनामा दाखिल कर दिया है. संविधान पीठ ने केंद्र से असम में नागरिकता और अवैध आप्रवासियों के संबंध में डाटा उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. इसके बाद गृह मंत्रालय के सचिव ने दाखिल किया हलफनामा. सुनवाई से ऐन पहले दाखिल हलफनामे के मुताबिक 1966-71 के बीच बांग्लादेश सीमा पार (Bangladesh border crossing) कर असम आए लोगों में से 17861 लोगों को नागरिकता (Citizenship to 17861 people) प्रदान की गई. जबकि विदेशी न्यायाधिकरण आदेश 1964 द्वारा 32,381 व्यक्तियों को विदेशी (32,381 persons foreigners) पाया गया।
वहीं 25 मार्च 1971 के बाद अवैध प्रवासियों के अनुमानित संख्या पर केंद्र का कहना है कि अवैध प्रवासियों के लिए सटीक डाटा एकत्र करना संभव नहीं है. क्योंकि गुप्त और चोरी-छिपे होने वाले प्रवेश का पता लगाना कठिन है. केंद्र सरकार का कहना है कि सीमा पार से लोग वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना गुप्त तरीके से देश में प्रवेश करते हैं. ऐसे अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों का पता लगाना, हिरासत में लेना और निर्वासित करना एक जटिल प्रक्रिया है।
केंद्र ने हलफनामे में देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले ऐसे अवैध प्रवासियों का डाटा देते हुए लिखा है कि 2017 से 2022 के दौरान भारत से 14,346 विदेशी नागरिक निर्वासित किए गए हैं. पिछले पांच वर्षों में अधिक समय तक रुकने, वीजा उल्लंघन, अवैध प्रवेश आदि जैसे कारणों से FRRO द्वारा निर्वासित किए गए है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में बताया है कि असम में 100 विदेशी न्यायाधिकरण कार्यरत हैं. उनमें 31 अक्टूबर तक तीन लाख 34 हजार मामलों का निपटारा किया जा चुका है. जबकि 97,714 मामले अभी भी लंबित हैं. असम राज्य में पाए गए विदेशियों और मामलों मे दोषी पाए गए विदेशियों के निर्वासन की निगरानी विदेश मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली और राज्य सरकार से नामित एक सदस्य की एक स्थायी समिति करती है. इस संबंध में स्थायी समिति अब तक छह बैठकें कर चुकी है।
वहीं राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश से अवैध अप्रवासियों के संबंध में विभिन्न कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया गया है. मुख्य सचिव के स्तर पर समय-समय पर बैठकें बुलाई जाती है. दूसरी तरफ केंद्र ने सीमा पर बाड़ लगाए जाने को लेकर दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ असम राज्य लगभग 263 किमी की सीमा को साझा करता है.जिसमें से लगभग 210 किलोमीटर को बाड़ लगाई जा चुकी है. जबकि बाकी सीमा पर तकनीकी व्यवस्था के साथ बाड़बंदी की गई है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है. जमीन और नदी के साथ यह सीमा पश्चिम बंगाल, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और असम राज्यों से होकर गुजरती है।
भारत-बांग्लादेश सीमा की कुल सीमा पर लगभग 81.5 प्रतिशत बाड़बंदी का काम पूरा हो चुका है. जबकि असम और त्रिपुरा में नदी और नाला आदि को लेकर बचे हुए 18.5 प्रतिशत हिस्से मे तकनीकी व्यवस्था के जरिए बाड़ लगाने का काम किया जा चुका है. मंगलवार 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।
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