नई दिल्ली। केंद्र (Center) ने साल 2021-2026 की अवधि के दौरान पांच साल (Five years) के लिए 4,077 करोड़ रुपये (Rs 4077 crore) के कुल बजट के साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लागू किए जाने वाले डीप ओशन मिशन (DOM) को मंजूरी (Approval) दी है। राज्यसभा (Rajyasabha) में मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, “गहरे समुद्र में खनन, जैव विविधता, ऊर्जा, ताजे पानी आदि की संभावनाओं का पता लगाने और नीली अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए इस मिशन के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए निजी संस्थानों को भी शामिल किया जाएगा।”
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (आईएसए) के साथ संविदात्मक समझौतों के माध्यम से मध्य हिंद महासागर बेसिन में पॉली-मेटालिक नोड्यूल्स (पीएमएन) और मध्य एवं दक्षिण-पश्चिम भारतीय के कुछ हिस्सों में पॉली-मेटालिक सल्फाइड्स (पीएमएस) के लिए अन्वेषण गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
प्रारंभिक अनुमानों से संकेत मिलता है कि मध्य हिंद महासागर बेसिन में पीएमएन की खोज के लिए 75,000 वर्ग किलोमीटर के आवंटित क्षेत्र के भीतर कॉपर, निकेल, कोबाल्ट और मैंगनीज युक्त पॉलीमेटेलिक नोड्यूल के 380 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) उपलब्ध हैं। इन धातुओं का अनुमानित मूल्य लगभग 110 अरब अमेरिकी डॉलर है। मंत्री ने कहा कि पॉलीमेटेलिक सल्फाइड में सोने और चांदी सहित दुर्लभ पृथ्वी खनिज होने की उम्मीद है।
अमेरिका, फ्रांस, जापान, रूस और चीन इसी प्रकार की प्रौद्योगिकियों वाले प्रमुख देश हैं।
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