नई दिल्ली। घरेलू बाजार में कीमतें थामने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक भारत ज्यादातर किस्मों के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो अल-नीनो प्रभाव के कारण खाद्य महंगाई से पहले से ही जूझ रहे दुनियाभर के देशों में चावल की कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं। वैश्विक चावल निर्यात में भारत की 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है।
ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार सभी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर विचार कर रही है। हालांकि, अभी इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार विधानसभा चुनावों और उसके बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देश में अधिक महंगाई के जोखिम से बचना चाहती है।
इसके अलावा, खराब मौसम की वजह से प्रमुख उत्पादक राज्यों में चावल की बुवाई पर असर पड़ा है। इसलिए, गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार चल रहा है। उधर, बुधवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खुदरा महंगाई बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई है।
प्रभावित होगा 80% निर्यात
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाने के सरकार के फैसले भारत के करीब 80 फीसदी चावल निर्यात पर असर पड़ सकता है। चावल दुनिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन है। एशिया में वैश्विक आपूर्ति का करीब 90 फीसदी चावल उपभोग के लिए इस्तेमाल होता है।
वैश्विक बाजार में दाम 11 साल के शीर्ष पर
अल-नीनो प्रभाव के कारण सूखा पड़ने की आशंका से आयातकों ने आक्रामक तरीके से भंडार बढ़ाना शुरू कर दिया है। वैश्विक बाजार में चावल के दाम 11 साल के शीर्ष पर पहुंच गए हैं।
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