नई दिल्ली: देशभर में 5जी सर्विस (5G Service in India) रोलआउट होने से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को एक अहम निर्देश दिया है, जिसके कार्यान्वयन से करीब 3000 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं. जल्द ही देश में किसी प्राधिकरण को अगर बिजली के तार, पानी की पाइपलाइन या गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए जमीन खोदने की जरूरत पड़ती है, तो उसे एक मोबाइल एप्लिकेशन पर इसकी सूचना देनी होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महंगे टेलीकॉम फाइबर को कोई नुकसान न हो.
खबर के मुताबिक, जैसा कि भारत देश भर में 5G नेटवर्क रोलआउट करने के लिए तैयार है, केंद्र की मोदी सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘कॉल बिफोर यू डिग’ (CBUD) मोबाइल ऐप के रोलआउट का विस्तार करने का अहम फैसला किया है. सड़क और सार्वजनिक स्थानों की खुदाई के दौरान पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब सीबीयूडी ऐप अपनाने को कहा गया है.
बता दें कि सीबीयूडी यानी कॉल विफोर यू डिग ऐप को इस साल अक्टूबर में गुजरात और 5G Service in India: सड़क और सार्वजनिक स्थानों की खुदाई के दौरान पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब सीबीयूडी ऐप अपनाने को कहा गया है. बता दें कि सीबीयूडी यानी कॉल विफोर यू डिग ऐप को इस साल अक्टूबर में गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में लॉन्च किया गया था.
पिछले हफ्ते सीआईआई के एक कार्यक्रम में दूरसंचार सचिव के. राजारमन ने कहा था कि ऑप्टिक फाइबर को मेंटेन रखने की लागत काफी अधिक है. उन्होंने कहा कि सीबीयूडी पायलट को सड़कों की खुदाई और अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्यों के दौरान दूरसंचार बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए चलाया जा रहा है. राजारमन ने कहा कि फाइबर के माध्यम से कॉम्प्लीमेंट्री कनेक्टिविटी मोबाइल सेवाओं का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण है.
सरकारी डेटा के मुताबिक, दूरसंचार क्षेत्र में पूरे भारत में हर साल लगभग 10 लाख ऑप्टिक फाइबर केबल कट जाते हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान होता है. इसकी वजह से हर साल दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स का मरम्मत में 3,000 करोड़ रुपये का फालतू खर्च होता है. साथ ही नागरिकों को असुविधा और व्यावसायिक नुकसान भी होता है.
क्या है नया निर्देश
9 दिसंबर को अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक समीक्षा बैठक में सभी राज्यों से कहा गया कि वे बिजली के तार, पानी की पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन और सीवरेज जैसी सभी अंडरग्राउंड यूटिलिटी या संपत्ति के मालिकों को दिशा-निर्देश दें. आदेश में कहा गया कि वे 31 दिसंबर 2022 तक जिला स्तर तक संपर्क डिटेल्स की मैपिंग पूरी कर लें. इसके अलावा इन सभी यूटिलिटी मालिकों को सीबीयूडी के माध्यम से पूर्व सूचना के बाद ही किसी भी प्रकार की खुदाई करना अनिवार्य होगा. समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार, सभी अंडरग्राउंड यूटिलिटी और संपत्ति के मालिकों को पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल पर अपनी संपत्ति का मैपिंग करना आवश्यक है.
5G रोलआउट पर हो रहा काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 अक्टूबर को 5जी सेवाओं को लॉन्च करने के बाद देश वर्तमान में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 5G रोलआउट पर काम कर रहा है. इसमें एक ‘5जी फॉर्म’ का विकास और पीएम गतिशक्ति पोर्टल के साथ एकीकरण के साथ-साथ पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल पर इसकी मैपिंग शामिल है. यह पूरी प्रक्रिया राज्यों को भारत में जल्द ही 5जी सेवा शुरू करने के लिए तैयार करेगी.
इतना ही नहीं, दूरसंचार ढांचे की स्थापना के लिए सरकारी बुनियादी ढांचे या स्ट्रीट फर्नीचर के उपयोग के लिए तौर-तरीके तैयार करने, आम बिजली बिल जारी करने के लिए एक कार्यप्रणाली को अंतिम रूप देने और सार्वजनिक रूप से संपर्क विवरण उपलब्ध कराने और जारी करने के लिए राज्य कार्य समितियों का गठन कर रहे हैं. अब तक 17 राज्यों ने ऐसी कार्य समितियों का गठन किया है.
इन राज्यों में राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) पेंडेंसी अधिक
दूरसंचार क्षेत्र में राइट ऑफ वे (RoW) को दूरसंचार टावरों की स्थापना, ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने, कंपनियों के बीच समन्वय में सुधार और विवादों को निपटाने के लिए भारत में कानूनी ढांचे के तौर पर जाना जाता है. तमिलनाडु, केरल और बिहार जैसे राज्यों में परियोजना के लिए राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) पेंडेंसी अधिक हैं. तमिलनाडु में राइट ऑफ वे के 18,188 आवेदन लंबित हैं, जबकि केरल में लगभग 2,724 और बिहार में 1,740 लंबित हैं. तमिलनाडु को अभी 5G रोलआउट के लिए एक आरओडब्ल्यू आवेदन पत्र को फाइनल रूप देना है. केरल और बिहार को भी ऐसा ही करना है. यही वजह है कि इन राज्यों से केंद्र सरकार ने कमर कसने को कहा है.
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