नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों- रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर घटी हुई आयात शुल्क व्यवस्था को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। खाद्य तेलों के साथ ही मसूर दाल पर आयात शुल्क छूट भी 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना है।
वित्त मंत्रालय की एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि घटी हुई ड्यूटी मार्च 2024 में समाप्त होने वाली थी, लेकिन अब मार्च 2025 तक जारी रहेगी।
रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया था। शुल्क में इस कटौती से इन तेलों की देश में आने की लागत कम हो जाएगी, जिससे घरेलू कीमतें कम होंगी और लोगों को राहत मिलेगी।
बता दें कि नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.70 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 6.61 प्रतिशत थी। कुल उपभोक्ता मूल्य बास्केट में खाद्य मुद्रास्फीति की हिस्सेदारी लगभग आधी है, जो कई परिवारों पर बोझ डाल रही है और 2024 में आम चुनावों को देखते हुए सरकार की चिंता का कारण है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और नंबर एक वनस्पति तेल आयातक है। यह देश आयात के माध्यम से अपनी जरूरतों का 60% पूरा करता है।
इसका एक बड़ा हिस्सा पाम ऑयल और इससे जुड़े उत्पादों का है, जो इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किए जाते हैं। भारत में मुख्य रूप से सरसों, पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी से बनी खाद्य तेलों की खपत होती है।
खाद्य तेलों के साथ ही मसूर दाल पर आयात शुल्क छूट जो वर्तमान में 31 मार्च 2024 तक वैध है उसे भी 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
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