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    Census: 2025 में होगी शुरुआत, बदल गया जनगणना का चक्र, संप्रदाय भी पूछ सकती है सरकार

  • October 28, 2024

    नई दिल्ली. हर 10 साल में होने वाली जनगणना (Census) को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक अगले साल (next year) (2025 में) जनगणना की शुरुआत होगी, जो एक साल (2026 तक) चलेगी. इसके बाद से 10 साल में होने वाली जनगणना अब अगली बार 2035 में होगी.

    बता दें कि अब तक हर दस साल में होने वाली जनगणना दशक के शुरुआत में होती आई थी जैसे 1991, 2001, 2011. इसी तरह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी (covid pandemic) के कारण टालनी पड़ी. इसके बाद अब जनगणना का चक्र (census cycle) भी बदलने वाला है. अब 2025 के बाद 2035 और फिर 2045, 2055 में जनगणना होगी.


    2028 तक पूरा होगा परिसीमन
    लोक सभा सीटों का परिसीमन जनगणना पूरी होने के बाद शुरू होगा. परिसीमन प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की संभावना है. दरअसल, कई विपक्षी दलों की तरफ से जातिगत जनगणना की मांग भी की जा रही है, लेकिन सरकार ने अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है.

    इस मांग पर सरकार कर रही विचार
    अब तक जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता रहा है. साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना होती है. लेकिन इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं. उदाहरण के तौर पर कर्नाटक में सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत स्वयं को अलग संप्रदाय के मानते हैं. इसी तरह अनुसूचित जाति में वाल्मीकि, रविदासी, जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं. यानी धर्म, वर्ग के साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर सरकार विचार कर रही है.

    जातिगत जनगणना पर अभी फैसला नहीं!
    केंद्र सरकार ने फिलहाल जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर औपचारिक फैसला नहीं किया है. लेकिन विपक्ष की ओर से जातिवार जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार जातिवार जनगणना कराने का फैसला ले सकती है. क्योंकि सरकार भी चाहती है कि एक तो इस मुद्दे पर NDA में कोई मतभेद न हो साथ ही सभी धर्मों की आबादी में मौजूद जाति व्यवस्था की जड़ों का भी पता चल सके. फिर अगर आरक्षण सहित किसी भी सुविधा के लिए कोई विशेष योजना चलानी हो तो ट्रिपल टेस्ट का पहला और अहम टेस्ट इसी मुहिम के साथ पूरा हो जाएगा.

    डिजिटल तरीके से जुटाए जाएंगे आंकड़े
    देश में पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल तरीके से जुटाए और संकलित किए जाएंगे. इसके लिए विशेष पोर्टल तैयार किया गया है. इस पोर्टल में जातिवार जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी. सांख्यिकी और विधि मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर फिलहाल औपचारिक फैसला नहीं किया है. लेकिन पूरे आसार हैं कि भविष्य के मद्देनजर अभी जनगणना को बहुआयामी, भविष्योन्मुखी और सर्व समावेशी बनाया जाए. सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण अटकी हुई 2021 की जनगणना 2025 में हो सकेगी.

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