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    गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत के लिए CDC ने भारत में बने कफ सिरप को बताया जिम्मेदार

  • March 04, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। अमेरिका (America) के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention- CDC) और गाम्बिया के स्वास्थ्य प्राधिकार (Gambian health authorities) ने गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत (children died in gambia) के लिए भारत में बने कफ सिरप (made in india cough syrup) को जिम्मेदार ठहराया है। सीडीसी और गैम्बियन स्वास्थ्य अधिकारियों की संयुक्त जांच में यह बात सामने आई है कि गाम्बिया में हुई बच्चों की मौतें और भारत में निर्मित कथित रूप से दूषित कफ सिरप के सेवन के बीच गहरा संबंध है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अक्तूबर, 2022 में अलर्ट जारी करके कहा था कि भारत की कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा गाम्बिया को आपूर्ति किए जा रहे चार तरह के कफ सिरप की गुणवत्ता मानदंडों के अनुरूप नहीं है और दावा किया गया कि ये कप सिरप गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत से जुड़े हैं।


    सीडीसी की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जांच मजबूती से यह बात कहती है कि डाईएथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol) या एथिलीन ग्लाइकोल (Ethylene Glycol) से दूषित दवाएं गाम्बिया में आयात की गईं, जिससे बच्चों में एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) की समस्या हुई। डाईएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) विषाक्तता वाले मरीज कई संकेतों और लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जिनमें परिवर्तित मानसिक स्थिति, सिरदर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण शामिल हैं।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) के ज्यादातर मामलों में ऐसा देखा गया है कि मरीज को ओलिगुरिया (कम मूत्र उत्पादन) या अनुरिया की समस्याएं होती हैं, जिससे 1-3 दिनों के भीतर गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं क्योंकि इस दौरान सीरम क्रिएटिनिन और ब्लड यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। सीडीसी के अनुसार, पिछले अगस्त में गाम्बिया के स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओएच) ने एक्यूट किडनी इंजरी के कई मामले और बच्चों में मौत की पहचान करने में सहायता के लिए संपर्क किया था, ताकी इस महामारी का पता लगाया जा सके और संभावित कारण के कारकों और उनके स्रोतों की पहचान की जा सके। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले डीईजी प्रकोपों में, निर्माताओं को डीईजी को अधिक महंगे, फार्मास्युटिकल-ग्रेड सॉल्वैंट्स के स्थान पर प्रतिस्थापित करने का संदेह था।

    इस मामले में भारत की केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने तीन फरवरी को लोकसभा में दिए अपने जवाब में कहा था कि जांच के बाद खांसी की दवाई के नमूने मानक गुणवत्ता वाले पाए गए हैं। पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि डाईएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) दोनों के लिए नमूने नकारात्मक पाए गए थे।

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