नई दिल्ली । इजरायली दूतावास के निकट हुए धमाके की जांच में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के साथ एनआईए भी जुट गई है। इस मामले में पुलिस सीसीटीवी फुटेज व डंप डाटा को खंगाल रही है। इसके अलावा एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) से भी मदद लेकर जानने की कोशिश की जा रही है कि पिछले तीन महीने में ईरान से कौन-कौन लोग आए हैं और कौन वापस गए हैं।
जानकारी के अनुसार इजरायली दूतावास के बाहर शुक्रवार शाम करीब पांच बजकर पांच मिनट पर जोरदार धमाका हुआ था। आईईडी के जरिये यह धमाका किया गया था। घटना की जानकारी मिलते ही लोकल पुलिस के अलावा स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच और एफएसएल की टीम भी मौके पर पहुंची। शनिवार को एनआईए की टीम भी स्पेशल सेल के साथ जांच के लिए मौके पर पहुंची। इस मामले में मौके से जो पत्र मिला है, उसके बाद इस विस्फोट में ईरान की एंट्री हो चुकी है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का मामला होने की वजह से एनआईए सहित महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गई हैं।
सीसीटीवी से सुराग तलाश रही पुलिस
पुलिस ने मामले में आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज जब्त कर ली है। वारदात की जगह पर लगे सीसीटीवी की फुटेज नहीं मिल सकी है, क्योंकि वहां लगा कैमरा खराब था। अन्य दूतावास व सड़क पर लगे कैमरों के फुटेज खंगाले गये हैं। इससे पता चला है कि कैब में सवार दो संदिग्ध युवक आए थे। पुलिस ने उस कैब चालक से पूछताछ की है, जो उन्हें लेकर आया था। उनके रूट व हुलिये को लेकर पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिसकी मदद से आरोपितों की तलाश की जा रही है।
एफआरआरओ से मांगी गई डिटेल
इस मामले में कोई ईरानी नागरिक तो शामिल नहीं है, इसकी भी जांच की जा रही है। इसके लिए स्पेशल सेल एफआरआरओ की मदद ले रही है। उन्होंने एफआरआरओ से तीन महीने में ईरान से भारत आने और जाने वालों का डाटा उपलब्ध कराने को कहा है। उसकी मदद से यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इनमें से कोई विस्फोट करने वाला संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं है। इनमें से कौन लोग घटना वाले दिन दिल्ली में मौजूद थे। हाल ही में जो ईरान गए हैं, वह भी संदेह के घेरे में हो सकते हैं। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं लोकल मॉड्यूल के जरिए तो यह विस्फोट नहीं करवाया गया?
डंप डाटा से मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी
दिल्ली पुलिस मामले की जांच में डंप डाटा का इस्तेमाल करेगी। पुलिस ने मौके से डंप डाटा उठा लिया है, जो बताएगा कि घटना के समय इलाके में कितने मोबाइल सक्रिय थे। इनमें संदिग्ध का मोबाइल भी शामिल हो सकता है। इससे कई महत्वपूर्ण सुराग मिलने की पुलिस को उम्मीद है।
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