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सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी सुशांत केस में जांच जारी रखने की अनुमति

August 14, 2020

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने कहा है कि अभिनेता सुशांत सिंह की खुदकुशी के मामले में केवल एक एफआईआर दर्ज की गई है और वो पटना पुलिस ने दर्ज किया है। बिहार सरकार ने कहा है कि इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है तो रिया चक्रवर्ती की एफआईआर को मुंबई में ट्रांसफर करने की याचिका का अब कोई मतलब नहीं रह जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि पटना में दर्ज एफआईआर गैरकानूनी है और इसे गलत मंशा से दायर किया गया है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मुंबई में अब कोई मामला लंबित नहीं है। सीबीआई ने कहा है कि सीबीआई और ईडी को जांच जारी रखने की अनुमति दी जाए।

बिहार सरकार ने कहा है कि मामले में मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। इस मामले में इकलौती एफआईआर बिहार में दर्ज हुई है। अब जांच सीबीआई को जा चुकी है। इसलिए, पटना से मामला मुंबई ट्रांसफर करने की रिया की मांग बेमानी हो चुकी है। रिया चक्रवर्ती की ओर से दायर लिखित दलील में कहा गया है कि पटना में एफआईआर दर्ज होने का कोई आधार नहीं है। पटना की कोर्ट को मामले की सुनवाई का आधार नहीं है। रिया की तरफ से कहा गया है कि बिहार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को सौंपना गलत है। एफआईआर में जो आशंकाएं जताई गई हैं , उनसे कोई संज्ञेय अपराध की बात सामने नहीं आती है।

सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील में सुशांत के पिता केके सिंह ने कहा है कि पटना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था। जांच पूरी होने के बाद ट्रांसफर हो सकता था। उन्होंने कहा है कि पटना में रहते कई बार सुशांत से बात की कोशिश की थी। उनकी चिता को अग्नि देनेवाला छिन गया है। केके सिंह ने कहा है कि रिया ने सीबीआई जांच की बात कही थी। मुंबई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है, उसने पोस्टमार्टम के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किया।

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील में कहा है कि कि पटना में दर्ज एफआईआर गैरकानूनी है। इसे गलत नीयत से दर्ज किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि जांच सीबीआई को सौंपने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की सिंगल बेंच जांच सीबीआई को नहीं सौंप सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने मामला मुंबई पुलिस को ट्रांसफर करने की मांग की है।

इस मामले में सीबीआई ने लिखित दलीलें पेशकर कहा है कि मुंबई में अब कोई मामला लंबित नहीं है। दुर्घटना में मौत की शुरुआती जांच के बाद एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इस मामले में 56 लोगों के बयान दर्ज करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। सीबीआई ने इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी को जारी करने की अनुमति मांगी है। इस मामले में पिछले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने सभी पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया था।

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