नई दिल्ली । केंद्रीय ऊर्जा सचिव (Union Power Secretary) आलोक कुमार (Aalok kumar) और कृषि सचिव (Agriculture Secretary) संजय अग्रवाल (Sanjay Agrawal) को जल्द ही उनके कैडर राज्य उत्तर प्रदेश (UP) में वापस भेजा जा सकता है, जहां सीबीआई (CBI) ने 2,268 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाले (PF Scam) में उनकी जांच के लिए मंजूरी मांगी है (Seeks Approval for Investigation) । ये जानकारी मीडिया रिपोर्ट से सामने आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके प्रत्यावर्तन का आदेश किसी भी समय आ सकता है क्योंकि केंद्र सरकार अपने शीर्ष अधिकारियों की भ्रष्टाचार के लिए जांच कराने की शमिर्ंदगी का सामना नहीं करना चाहती है। इसलिए सरकार कार्रवाई को राज्य में स्थानांतरित करना चाहती है।
रिपोटरे के अनुसार, सीबीआई ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के कर्मचारियों के भविष्य निधि को एक निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में अवैध रूप से निवेश करने से संबंधित मामले में दो अधिकारियों की जांच के लिए मंजूरी मांगी है। बाद में फर्जी कंपनियों के जाल के जरिए 31,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज की हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।
यूपीपीसीएल ने डीएचएफएल की अल्पकालिक सावधि जमा योजनाओं में कुल 4,122 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसमें से 1,854 करोड़ रुपये एफडी की परिपक्वता पर प्राप्त हुए, लेकिन 2,268 करोड़ रुपये अभी वसूल नहीं हुए हैं।
संजय अग्रवाल 2013 से 2017 के मध्य तक यूपीपीसीएल के अध्यक्ष थे और इस अवधि के दौरान यूपीपीसीएल कर्मचारियों के पीएफ पैसे का कुछ हिस्सा डीएचएफएल में निवेश किया गया था। डीएचएफएल में निवेश सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन था जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि पीएफ का पैसा किसी वित्तीय संस्थान में निवेश नहीं किया जाना चाहिए जो कि अनुसूचित बैंक नहीं है। अग्रवाल यूपीपीसीएल में आलोक कुमार द्वारा सफल हुए, जिन्होंने डीएचएफएल में निवेश जारी रखा। रिपोर्ट में कहा गया कि कुमार लगभग दो साल तक यूपीपीसीएल के शीर्ष पर रहे।
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