नई दिल्ली। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने 4500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की है। जिन लोगों के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है, उनमें जीटीएल लिमिटेड,उसके कुछ डॉयरेक्टर और कुछ अन्य अज्ञात बैंकर शामिल हैं। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, इन आरोपियों ने लोन के रुपयों में हेरफेर करके बैंकों के कंसोर्टियम को कथित रूप से धोखा दिया है।
कंसोर्टियम में 24 बैंक शामिल
इस कंसोर्टियम में 24 बैंक शामिल हैं। जांच एजेंसी की एफआईआर के मुताबिक, जीटीएल लिमिटेड ने धोखे से कंसोर्टियम से लोन हासिल किया। इसके बाद इस लोन में से अधिकांश रुपये अपने विक्रेताओं, अज्ञात बैंक अधिकारियों आदि के साथ साजिश करके निकाल लिया। धोखाधड़ी का यह मामला धोखाधड़ी कथित तौर पर वर्ष 2009-2012 के बीच हुई थी।
सीबीआई ने लगाए आरोप
सीबीआई के आरोप के मुताबिक, जीटीएल हर साल कुछ वेडरों को बड़ी मात्रा में एडवांस में रुपये देती थी, लेकिन इसके बदले में वह वेंडर कंपनी को किसी करह के माल की सप्लाई नहीं करते थे। बाद में कंपनी द्वारा एडवांस का सेटेलमेंट किया जाता था। इतना ही नहीं, जीटीएल लिमिटेड की मिलीभगत से बैंक की अल्पकालिक निधियों और अन्य क्रेडिट सुविधाओं को बेईमानी से निकालने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से कई विक्रेता कंपनियों को उधारकर्ता बनाया गया था।
जांच में इसका भी खुलासा हुआ है कि अल्पावधि ऋण राशि और अन्य ऋण सुविधाएं जीटीएल कंपनी द्वारा प्राप्त की गई थीं। GTL लिमिटेड ने इस लोन को व्यावसायिक गतिविधि के उद्देश्य से लिया था, लेकिन लोन मिलने के बाद उसकी अधिकांश राशि का उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं किया गया जिसके लिए इसे प्रदान किया गया था।
जीटीएल लिमिटेड भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दूरसंचार ऑपरेटरों को दूरसंचार नेटवर्क परिनियोजन सेवाएं, संचालन और रखरखाव सेवाएं, पेशेवर सेवाएं, नेटवर्क योजना और डिजाइन सेवाएं और ऊर्जा प्रबंधन सेवाएं प्रदान करती है। मनोज तिरोडकर और ग्लोबल होल्डिंग कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीएचसी), कंपनी के प्रमोटर हैं।
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