इंदौर। सीबीआई की एंटीकरप्शन ब्रांच भोपाल ने इंदौर की एक जानी-मानी इंडस्ट्री के डायरेक्टर, प्रमोटर और ग्यारंटर सहित अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ 128 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की है। इस मामले में आरोप है कि निजी इंडस्ट्रीज के कर्ताधर्ताओं ने बैंक को तगड़ा चुना लगाया और लोन के रूप में मिली राशि का अपनी अन्य कम्पनियों और बोगस फर्मों में उपयोग कर लिया और बाद में बैंक को पैसा नहीं चुकाया, जिसके चलते बैंक ने डिफॉल्टर घोषित करते हुए मामले की जांच सीबीआई को गया गया, क्योंकि दिए गए लोन का दुरुपयोग किया गया।
देश की राष्ट्रीयकृत और अन्य बैंकों का हजारों करोड़ रुपया बड़े-बड़े उद्योग हजम कर गए और खुद को डिफॉल्टर व दिवालिया घोषित कर दिया। बैंकों ने भी इस राशि को एनपीए बताते हुए डुबत खाते में डाल दिया है। इसको लेकर हमेशा हल्ला मचता रहा है। इंदौर के भी कई नटवरलालों ने हजारों करोड़ रुपए का चुना बैंकों को लगाया है। इसी कड़ी में इंदौर स्थित मेटरमेन इंडस्ट्रीज के खिलाफ सीबीआई ने 128 करोड़ रुपए की राशि की हेराफेरी करने के मामले में प्रकरण दर्ज किया है। भोपाल स्थित एंटीकप्शन ब्रांच ने इंदौर स्थित इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर, प्रमोटर व गारंटर के खिलाफ ये प्रकरण दर्ज किए हैं और बैंक ने आरोप लगाए हैं कि उसे भ्रामक फाइनेंशियल रिपोर्ट और व्यापार वृद्धि के प्रोजेक्शन दिए गए, जिसके आधार पर लोन लिया गया। यह लोन कोल्ड रोलिंग शिट स्ट्रीप्स गेलवेनाइज्ड, प्लेन स्टील शीट, स्ट्रीप्स व अन्य निर्माणों के लिए 1995 से लेकर 2006 के बीच दिए गए। फोरेंसिक ऑडिट से यह गड़बड़ी उजागर हुई कि इंडस्ट्रीज में अवैधानिक रूप से फंड का ट्रांसफर अन्य कम्पनियों और डमी फर्मों में कर बैंक को चूना लगाया, जिसके चलते बैंक ने धोखाधड़ी के मामले में शिकायत करते हुए जांच शुरू करवाई। लगभग 128 करोड़ रुपए का यह बैंक घोटाला है, जिसमें सीबीआई ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पूर्व में भी इंदौर के कई ऐसे नटवरलालों ने इसी तरह से बैंकों को हजारों करोड़ रुपए की टोपी पहनाई है, जिनमें जूम डवलपर्स सहित अन्य कम्पनियां शामिल हैं। इंदौर से ही बैंकों को 10 से 20 हजार करोड़ रुपए का चूना कई नटवरलालों ने लगाया है।
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