नई दिल्ली/लखनऊ । उत्तर प्रदेश के बरेली में (In Bareilly, Uttar Pradesh) 2017 में (In 2017) मेडिकल छात्रा अनन्या दीक्षित की (Medical Student Ananya Dixit’s) संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में (In Case of Death Under Suspicious Circumstances) सीबीआई (CBI) ने आत्महत्या के लिए उकसाने का केस (Case of Abetment to Suicide) दर्ज किया (Registered) । श्री राम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एसआरएमएस-आईएमएस) कॉलेज में भर्ती होने के तीन दिन बाद 11 सितंबर 2017 को संदिग्ध परिस्थितियों में अनन्या मृत पाई गई थी।
चूंकि लड़की के माता-पिता स्थानीय पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। स्थानीय पुलिस ने आईपीसी की धारा 306/201 के तहत दो व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया था। इसके बाद मामला क्राइम ब्रांच की टीम को सौंप दिया गया, जिसने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। तब तक स्थानीय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोपपत्र का संज्ञान ले लिया था और मामले को सत्र अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था, एक छोटी बच्ची की मेडिकल की पढ़ाई के दौरान अस्वाभाविक मौत हो गई है और दो जांच एजेंसियों ने रिपोर्ट दी है – एक ने आरोपपत्र में दो व्यक्तियों को आरोपी बनाया है और दूसरी ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दो जांच एजेंसियों द्वारा दायर दो रिपोटरें में विरोधाभास है, और इन मामले की प्रकृति को देखते हुए, हमारी राय है कि आगे की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जानी चाहिए।
अनन्या के पिता अनादि दीक्षित ने आरोप लगाया था कि रैगिंग के नाम पर उसे ‘मानसिक प्रताड़ना’ दी गई। उन्होंने आरोप लगाया था कि कॉलेज प्रशासन ने पुलिस का इंतजार नहीं किया और दरवाजा तोड़कर कुछ चीजें अपने पास रख लीं, जिससे संदेह हुआ। उसके पिता ने आरोप लगाया कि कॉलेज के प्रशासक ने उन्हें सूचित नहीं किया और उन्हें अपनी बेटी की मौत के बारे में किसी और से पता चला।
पिछले तीन वर्षों में, वह कॉलेज में तीसरी छात्र थी जिसने कथित तौर पर आत्महत्या की थी। इससे पहले, हरियाणा के भिवानी की एक लड़की प्रियाना सिंह ने 2015 में आत्महत्या कर ली थी, जबकि यश कुमार खटवानी ने 2016 में यह चरम कदम उठाया था। दीक्षित के माता-पिता ने कहा था कि तीन साल में तीन मेधावी छात्रों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, जो साबित करता है कि कुछ गंभीर बात है।
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