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    PM मोदी को फंसाने के लिए UPA शासन में CBI ने बनाया था दबाव: अमित शाह

  • March 30, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (Congress led UPA government) के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) (Central Bureau of Investigation (CBI)) ने गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को फंसाने के लिए मुझ पर दबाव डाला था।

    शाह ने यहां एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में विपक्ष के इस आरोप से जुड़े सवाल पर यह बात कही कि नरेंद्र मोदी सरकार उन्हें (विपक्ष) निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। गृह मंत्री ने कहा, हम सत्ता के दुरुपयोग के भुक्तभोगी हैं। मेरे ऊपर फर्जी एनकाउंटर का झूठा केस किया गया। मोदी का नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया। 90 फीसदी सवाल में कहा गया कि मोदी का नाम ले लो तो छोड़ देंगे। मोदी के खिलाफ एक राज्य ने एसआईटी बनाई, लेकिन हमने कभी हाय तौबा नहीं की।


    मुझे दंगों में फंसाने की कोशिश हुई, केस दर्ज हुआ
    शाह ने कहा, मुझे दंगों में फंसाने की कोशिश हुई। दंगों में शामिल होने का केस हुआ, लेकिन कुछ नहीं निकला। हमने कोई काले कपड़े पहनकर विरोध नहीं किया। मुंबई कोर्ट में केस ले गए। वहां अदालत ने मुकदमे को राजनीति से प्रेरित बताया। कांग्रेस को आत्मचिंतन करना चाहिए।

    अध्यादेश मदद कर सकता था
    गृह मंत्री ने कहा, यह गांधी ही थे जिन्होंने पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान एक अध्यादेश फाड़ा था जो अब उनकी मदद कर सकता था। यह देश का कानून है कि जिस किसी को भी अदालत की तरफ से सजा सुनाई जाती है वह संसद या विधानसभा की सदस्यता खो देता है। कांग्रेस में कई बड़े वकील हैं और उनमें से कुछ राज्यसभा के सदस्य भी हैं, उन्हें कानूनी मुद्दे पर गांधी को सलाह देनी चाहिए।

    राहुल सदस्यता गंवाने वाले पहले नेता नहीं
    सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने पर शाह ने कहा कि अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद संसद की सदस्यता गंवाने वाले राहुल गांधी पहले नेता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए उन्हें उच्च अदालत जाना चाहिए, लेकिन वह अपने भाग्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर दोष मढ़ रहे हैं। शाह ने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर दोष मढ़ने की कोशिश करने के बजाय अपने आपको दोषी ठहराए जाने के खिलाफ लड़ने के लिए ऊपरी अदालत में जाना चाहिए। शाह ने आगे कहा, उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील नहीं की है। यह कैसा अहंकार है? आप तरफदारी चाहते हैं। आप सांसद बने रहना चाहते हैं और अदालत भी नहीं जाएंगे।

    कई नेताओं की जा चुकी है सदस्यता
    गृह मंत्री ने कहा, सदस्यता जाने पर होहल्ला मचाने वाली कोई बात नहीं। इससे पहले राहुल से कई बड़े और अनुभवी नेताओं की सदस्यता जा चुकी है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता समेत 17 नेता तब दोषी ठहराए गए थे जब वे किसी न किसी विधानसभा या संसद के सदस्य थे। इन लोगों ने यूपीए काल में 2013 में बने कानून के तहत सजा सुनाए जाते ही अपनी सदस्यता खो दी। इन लोगों ने देश के कानून का पालन किया और इनमें से किसी ने भी काले कपड़े पहनकार विरोध नहीं जताया।

    उन्होंने कहा कि जब लालू अयोग्य ठहराए गए तो लोकतंत्र खतरे में नहीं पड़ा, लेकिन जैसे ही गांधी परिवार के सदस्य को अयोग्य ठहराया गया लोकतंत्र को खतरे में बताया जाने लगा। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि गांधी परिवार के लिए अलग कानून होना चाहिए। शाह ने कहा कि आप राहुल का पूरा भाषण सुनें उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री मोदी को अपशब्द कहे बल्कि मोदी समुदाय और ओबीसी समाज को गालियां दीं। उन्होंने जानबूझकर ऐसा भाषण दिया था। अगर राहुल इसके लिए माफी नहीं मांगते तो उन्हें जमानत के लिए भी आवेदन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का कानून स्पष्ट है। इसमें कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय है जो उनकी ही सरकार के दौरान आया था।

    शाह ने राहुल को दी यह सलाह
    शाह ने कहा कि यह देश का कानून है कि जो कोई भी अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है वह संसद या विधानसभा की सदस्यता खो देता है। शाह ने कहा कि कांग्रेस के पास कई बड़े वकील हैं और उनमें से कुछ राज्यसभा सदस्य भी हैं। राहुल को कानूनी मुद्दों के बारे में उनसे सलाह देनी चाहिए। राहुल को उनका सरकारी आवास तत्काल खाली करने के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि यह कोई जल्दबाजी नहीं थी और यह सिर्फ एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी।

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