नई दिल्ली । केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने 238 करोड़ रुपये (Rs. 238 crore) के चिटफंड धोखाधड़ी के मामले (Chit Fund fraud case) में 3 व्यक्तियों और 10 निजी फर्मों (3 Individuals and 10 Private Firms) के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया (Files Chargesheet) है। आरोप पत्र विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, कामरूप, गुवाहाटी (असम) की अदालत में दायर किया गया था।
आरोपियों ने उत्पाद बुकिंग के लिए दावा की गई विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग लोगों से 238 करोड़ रुपये एकत्र किए थे और उन्हें अधिक रिटर्न का वादा किया था, लेकिन न तो पैसे दिए गए और न ही सामान दिया गया।विश्वप्रिया गिरि, सचिंद्रनाथ भट्टाचार्य और सुशील कुमार शर्मा विभिन्न कंपनियां चला रहे थे। चार्जशीट में उनकी फर्मों के साथ उन्हें आरोपी बनाया गया है।
जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने 2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद चिटफंड धोखाधड़ी में एक मामला दर्ज किया था और असम पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी।मामला निजी कंपनियों के समूह और अन्य के खिलाफ था, जिसमें गुवाहाटी स्थित एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक, जीएम, प्रबंधक शामिल थे, जिसका प्रधान कार्यालय कोलकाता में था।आरोपी व्यक्ति कथित तौर पर उत्पादों की बुकिंग के लिए होने का दावा करने वाली योजनाओं के तहत एजेंटों के माध्यम से निर्दोष व्यक्तियों से धन एकत्र कर रहे थे। कंपनियों ने उन्हें कुछ महीनों के भीतर उच्च रिटर्न का आश्वासन दिया था।
सीबीआई अधिकारी ने कहा, “वे उत्पाद बुकिंग के लिए दावा की जाने वाली विभिन्न योजनाएं चला रहे थे और उन्होंने भारी मात्रा में धन एकत्र किया। उन्होंने बिना किसी गारंटर और आरबीआई/सेबी आदि की अनुमति के बिना आकर्षक ब्याज के साथ भुगतान करने का आश्वासन दिया।” अधिकारी ने कहा कि किसी को कोई उत्पाद नहीं दिया गया। बाद में निवेशकों को पता चला कि कंपनी उन्हें विभिन्न योजनाओं के जरिए ठग रही है। तब तक आरोपी 238 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका था।
सीबीआई ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद पीड़ितों के बयान दर्ज किए। अपने मामले को मजबूत बनाने के लिए दस्तावेजी और अन्य सबूत एकत्र किए। फुलप्रूफ चार्जशीट बनाने के बाद उन्होंने पहले वरिष्ठ वकील से कानूनी राय ली और फिर उसे कोर्ट के सामने पेश किया।
अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है। सीबीआई ने कहा कि वे अभी भी मामले की जांच कर रहे हैं और इस मामले में एक पूरक आरोप पत्र की संभावना है।
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