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जालसाजी मामले में सीबीआई कोर्ट ने मुंबई के कारोबारी पर 10.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

November 25, 2021


नई दिल्ली। सीबीआई की एक विशेष अदालत (CBI court) ने 2003 में सीमाशुल्क धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले (Forgery case) में मुंबई के एक व्यापारी (Mumbai businessman) को छह साल के कठोर कारावास (Rigorous imprisonment for six years) की सजा सुनाई है और उस पर 10.2 करोड़ रुपये (Rs 10.2 crore) का जुर्माना (Fine) लगाया (Imposes) है।


अदालत ने व्यवसायी कृष्ण कुमार कचारूलाल गुप्ता (62) के अलावा अपराध के एक अन्य मुख्य लाभार्थी विजय ट्रेडिंग कंपनी के सुधीर बृहस्पति मंडल को तीन साल के कठोर कारावास और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जांच एजेंसी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व अधिकारियों – वसंत एम. पारखे और सुनील भुजंगराव जाधव को भी एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। सीबीआई के अनुसार, गुप्ता और मंडल ने सीमा शुल्क और बैंक अधिकारियों के साथ एक आपराधिक साजिश रची, जिसमें उनका उद्देश्य जाली निर्यात दस्तावेज जमा करके सीमा शुल्क विभाग से सीमा शुल्क वापसी का बेईमानी से दावा करके केंद्र सरकार को धोखा देना था।

आरोपियों ने अपने नाम से फर्जी निर्यात दस्तावेज तैयार करने के लिए 11 फर्जी फर्मों का इस्तेमाल किया और 2 करोड़ रुपये से ज्यादा के 26 कस्टम ड्यूटी ड्रॉबैक चेक हासिल किए। ये चेक भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई पर आहरित किए गए और सीमा शुल्क विभाग द्वारा उक्त फर्जी फर्मों के नाम से जारी किए गए और बैंक ऑफ इंडिया, कॉटन एक्सचेंज शाखा, मुंबई में मैसर्स विजय ट्रेडिंग कंपनी के खाते में जमा किए गए। उक्त शुल्क वापसी की राशि आरोपी व्यक्तियों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त की गई थी।

यह भी आरोप लगाया गया था कि गुप्ता इस धोखाधड़ी में प्रमुख लाभार्थी थे, जिन्होंने शिपिंग बिल, घोषणा पत्र, चालान प्रतियां, पैकिंग सूची सहित जाली निर्यात दस्तावेजों पर मुंबई सीमा शुल्क से रेडीमेड कपड़ों के नकली निर्यात के खिलाफ शुल्क वापसी के दावों को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए फर्जी फर्मों का गठन किया था।
जांच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपी ने 2,09,36,419 रुपये की अवैध सीमा शुल्क वापसी प्राप्त की, जिससे केंद्र सरकार को नुकसान हुआ। जांच के बाद, आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ 30 मई, 2005 को सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुंबई के न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया गया था। सीबीआई ने कहा कि निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी पाया।

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