नई दिल्ली. सीबीआई (CBI ) ने मंगलवार को भारतीयों (Indians) को रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) युद्ध (war) क्षेत्र में भेजने वाले मानव तस्करी गिरोह में कथित रूप से संलिप्त होने के आरोप में रूस के रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) में अनुवादक (translator) के रूप में काम कर रहे कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
एजेंसी ने मंगलवार को केरल के तिरुवनंतपुरम से रूस भेजने के लिए भर्ती करने में संलिप्त अरुण और येसुदास जूनियर उर्फ प्रियन को गिरफ्तार किया, जबकि दो अन्य आरोपी रूस के रक्षा मंत्रालय में संविदा कर्मी नाइजल जोबी बेन्सम और मुंबई निवासी एंथोनी माइकल एलंगोवन को 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि बेन्सम और एलंगोवन न्यायिक हिरासत में हैं.
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘आरोपी नाइजेल जोबी बेन्सम रूसी रक्षा मंत्रालय में संविदा के आधार पर अनुवादक के रूप में काम कर रहा था और रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के वास्ते रूस में काम कर रहे नेटवर्क के प्रमुख सदस्यों में से एक था.’
सीबीआई के बयान में कहा गया है कि माइकल एंथनी दुबई में स्थित अपने सह-आरोपी फैसल बाबा और रूस में स्थित अन्य लोगों को चेन्नई में वीजा प्रक्रिया करवाने और पीड़ितों के लिए रूस जाने के लिए हवाई टिकट बुक करने में मदद कर रहा था. उन्होंने बताया कि मंगलवार को गिरफ्तार किए गए अरुण और येसुदास जूनियर उर्फ प्रियन रूस की सेना के लिए केरल और तमिलनाडु से भारतीय नागरिकों की भर्ती करने वालों में मुख्य थे.
अधिकारियों ने बताया कि कुछ और लोगों की गिरफ्तारी की जा सकती है. उन्होंने बताया कि सीबीआई ने ट्रैवल एजेंट के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया था जो भारतीय युवाओं को रूस में अवसरों का लालच दे रहा था लेकिन उनके पासपोर्ट जब्त करने के बाद उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में धकेल दिया था.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी की प्राथमिकी में पूरे भारत में फैली 17 वीजा परामर्श कंपनियों, उनके मालिकों और एजेंट को नामजद किया गया है. एजेंसी ने उन पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और मानव तस्करी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
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