बदलते मौसम, संक्रमण या अन्य कई कारणों से बच्चों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। उन्हीं में से एक है, बच्चों को टॉन्सिल की समस्या। क्या आपके बच्चे या आपके किसी परिचित के बच्चे को टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis) की समस्या का सामना करना पड़ा है? अगर हां, तो आप जानते ही होंगे कि यह बच्चे के लिए कितनी तकलीफदेह समस्या है। मॉमजंक्शन के इस लेख के जरिए हम बच्चों में टॉन्सिल से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। टॉन्सिलाइटिस क्या है, बच्चों के टॉन्सिल का इलाज, बचाव और ऐसी ही कई अन्य जानकारियां आपको इस लेख में जानने को मिलेगी।
कारण
बैक्टीरिया या वायरस से टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो उसे टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। इसके अलावा, जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो कीटाणु आसपास की हवा में फैल जाते हैं। फिर वो कीटाणु स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर टॉन्सिलाइटिस की समस्या पैदा कर सकते हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस आमतौर पर स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (streptococcus bacteria) के कारण होता है।
जरूरी नहीं है कि जिसको भी यह बैक्टीरिया हो, उसे टॉन्सिलाइटिस होगा। कभी-कभी स्कारलेट फीवर के कारण भी टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। यह बुखार भी स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है।
बच्चों को टॉन्सिलिटिस होने के लक्षण
गले में खराश
बुखार
सांसों की बदबू
गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स)
निगलने में परेशानी
पेट दर्द
सिरदर्द
सांस लेने में तकलीफ
सोते वक्त मुंह खोलकर सोना
नींद में खर्राटे लेना
बच्चों के टॉन्सिल का घरेलू उपचार
नीचे हम टॉन्सिलाइटिस से राहत दिलाने के लिए कुछ घरेलू उपायों की जानकारी दे रहे हैं। हालांकि, ये घरेलू उपचार टॉन्सिलाइटिस के प्रभाव को कम कर सकते हैं, लेकिन इससे समस्या पूरी तरह ठीक होगी या नहीं यह बच्चे के स्थिति पर निर्भर करता है।
तुलसी :
बच्चे को तुलसी का काढ़ा दिया जा सकता है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं, जो टॉन्सिलाइटिस के असर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण श्वास संबंधी समस्याओं और गले में खराश जैसी परेशानी से राहत दिला सकता है (7)। आप बच्चे को तुलसी की पत्तियों को धोकर उसका सेवन करने के लिए भी दे सकते हैं।
गार्गेलिंग :
अगर आपका बच्चा आठ वर्ष या उससे बड़ा है, तो उन्हें एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करा सकते हैं (4)। इससे गले को काफी हद तक राहत मिल सकती है। जब बच्चा गरारे करे, तो उस वक्त आप उसके साथ रहें, ताकि आप उन्हें सही से इसकी विधि बता सकें। ध्यान रहे कि बच्चा पानी निगले न।
दालचीनी :
आप एक चम्मच दालचीनी पाउडर व दो चम्मच शहद लें और इसे एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं। अपने बच्चे को इसे पीने के लिए प्रोत्साहित करें। यह गले को काफी हद तक आराम दे सकता है। दालचीनी का एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण गले की परेशानी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है ।
शहद :
आप अपने बच्चे को शहद का सेवन भी करा सकते हैं। शहद में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। ये गुण गले के संक्रमण से राहत दिला सकते हैं। अगर गले में दर्द की वजह से बच्चे को सोने में असुविधा हो, तो भी शहद का सेवन कराना बच्चे के लिए लाभकारी हो सकता है । ध्यान रहे कि एक वर्ष या उससे छोटे बच्चे को शहद का सेवन न कराएं ।
स्कार्फ या मफलर :
बच्चे के गले में आप स्कार्फ व मफलर जैसे गर्म कपड़े लपेट सकते हैं। इससे काफी आराम मिल सकता है (4)। ध्यान रहे कि आप इसे ज्यादा टाइट से न लपेटें। बेहतर है कि जब आप बच्चे के गले में मफलर या स्कार्फ लपेटे, तो उनसे पूछ लें कि कहीं उन्हें असुविधा तो नहीं हो रही है।
इन सबके अलावा, आप बच्चे को जल्द राहत दिलाने के लिए नीचे बताए गए उपाय भी कर सकते हैं (12)।
नोट – उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी होने की स्थिति हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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